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रेफरल सेंटर बना जिला चिकित्सालय

श्रावस्ती : अगर आपको स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली देखनी हो तो तराई में आबाद श्रावस्ती जिले की स्थिति प

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Apr 2017 12:02 AM (IST)Updated: Mon, 24 Apr 2017 12:02 AM (IST)
रेफरल सेंटर बना जिला चिकित्सालय
रेफरल सेंटर बना जिला चिकित्सालय

श्रावस्ती : अगर आपको स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली देखनी हो तो तराई में आबाद श्रावस्ती जिले की स्थिति पर नजर-ए-इनायत कर लें। यहां चिकित्सकों की कमी से संयुक्त जिला चिकित्सालय महज रेफरल इकाई बनकर रह गई है। प्रतिदिन ओपीडी में 700 मरीज दस्तक देते हैं तो 30 से 40 मरीजों की संख्या इंडोर में भर्ती मरीजों की होती है। जरा सा संवेदनशील होते ही मरीज पड़ोसी जिला बहराइच अथवा लखनऊ के लिए रेफर कर दिया जाता है। यहां ट्रामा विंग के भवन का निर्माण कराया गया है, लेकिन डॉक्टरों की तैनाती न होने से इसका लाभ दुर्घटना में घायल गंभीर किस्म के मरीजों को नहीं मिल पाता है।

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जिले की 12 लाख आबादी को बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए भिनगा में 17 करोड़ की लागत से संयुक्त जिला चिकित्सालय का निर्माण कराया गया, लेकिन अपेक्षा के अनुरूप विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती न होने से जिला अस्पताल मात्र रेफरल इकाई बनकर रह गया। यहां चिकित्सकों के अधिकांश पद खाली हैं। जांच भी भगवान भरोसे है। चिकित्सकों के अलावा एक्सरे टेक्नीशियन, पैथालाजिस्ट व फार्मासिस्टों के कई पद खाली चल रहे हैं। हृदयरोग विशेषज्ञ समेत कई विभागों में चिकित्सकों की तैनाती ही नहीं है। फिजीशियन के दो, चेस्ट फिजीशियन के एक पद पर किसी की तैनाती ही नहीं है। बेहोशी के दोनों पद रिक्त हैं तो त्वचा व यौन रोग के चिकित्सक की कुर्सी भी खाली है। जनरल सर्जन के दोनों पदों पर चिकित्सक की तैनाती तो की गई, लेकिन कार्यभार ग्रहण करने के बाद वे लौट कर यहां चिकित्सा सेवाएं देने नहीं आए। महीनों से अनुपस्थित चल रहे इन चिकित्सकों पर कार्रवाई का मामला भी अधर में लटका है। रेडियोलाजिस्ट के दो में एक तथा ईएमओ के तीन में से दो पद वर्षो से खाली हैं। ऑपरेशन थियेटर अटेंडेंट का पद खाली चल रहा है, जिसके चलते ऑपरेशन प्रभावित होता है।

जहां तक आधी आबादी की चिकित्सा सेवाओं का सवाल है। इस जिले में उसकी भी दशा खराब है। जिला चिकित्सालय के एक हिस्से में महिला चिकित्सालय की स्थापना की गई है, जिसमें चिकित्सकों की कमी बरकरार है। यहां सात में से महज एक मात्र स्त्री रोग विशेषज्ञ ही उपलब्ध है। इससे महिलाओं की चिकित्सा व्यवस्था भी दयनीय हालत में है।

जाहिर सी बात है कि चिकित्सकों की कमी का असर यहां की चिकित्सा सेवाओं पर पड़ रहा है और मरीजों को बेहतर इलाज के लिए गैर जनपद की दौड़ लगानी पड़ती है। जिले की बहुसंख्यक आबादी को चिकित्सकों, जांच के लिए प्रयोग किए जाने वाले उपकरणों के संचालन के लिए विशेषज्ञों की कमी अखर रही है।

ग्रामीण क्षेत्रों में भी चिकित्सकों का अकाल

ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए आबादी के हिसाब से आठ की जगह कुल पांच सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ही स्थापित है। इसी तरह 30 हजार की आबादी पर पीएचसी के मानक के अनुरूप 30 की जगह मात्र 12 पीएचसी ही स्थापित की गई है। ब्लॉक स्तर पर इकौना, सिरसिया, जमुनहा में सीएचसी के अलावा तीन-तीन पीएचसी, गिलौला में दो, हरिहरपुररानी में केवल एक ही पीएचसी स्थापित है। नासिरगंज समेत चार पीएचसी चिकित्सक विहीन है। पीएचसी स्तर पर अनिवार्य रूप से दो डॉक्टर तैनात होने चाहिए। इन अस्पतालों में तैनाती के लिए सीएमओ के अधीन 80 चिकित्सकों के पद सृजित हैं, लेकिन तैनाती मात्र 30 की है।

महिला अस्पताल की स्थिति

पदनाम सृजित पद तैनाती

सीएमएस 01 00

अधीक्षिका 01 00

स्त्री रोग विशेषज्ञ 01 01

निश्चेतक 01 00

पैथालाजिस्ट 01 00

रेडियोलॉजिस्ट 01 00

ईएमओ 01 00

बोले जिम्मेदार

जिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वेद प्रकाश शर्मा भी स्वीकार करते हैं कि जिला चिकित्सालय में चिकित्सकों की कमी है। इससे मरीजों को बेहतर चिकित्सा सेवाएं दे पाना चुनौतीपूर्ण होता है।


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