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चाइनीज दीयों की लगेगी वाट, इलेक्ट्रॉनिक चाक बना वरदान

बनत : गोल पहिया, गीली मिट्टी का ढेर, पहिये के बीच में मिट्टी के दीपों की बार-बार उभर

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Oct 2017 11:48 PM (IST)Updated: Mon, 16 Oct 2017 11:48 PM (IST)
चाइनीज दीयों की लगेगी वाट, इलेक्ट्रॉनिक चाक बना वरदान
चाइनीज दीयों की लगेगी वाट, इलेक्ट्रॉनिक चाक बना वरदान

बनत : गोल पहिया, गीली मिट्टी का ढेर, पहिये के बीच में मिट्टी के दीपों की बार-बार उभरती आकृति और गोल पहिये को रफ्तार देता मटियाले रंग के कपड़े पहने पसीनों से तर-बतर आदमी। जी हां, आप सही पहचान रहे है। यह दीपावली पर्व पर जगमग करने के लिए मशक्कत करता कुम्हार है।

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मिट्टी के बर्तनों, दीपों और मटकों को सुंदर आकृति इसी चाक पर दी जाती है। कड़ी मेहनत, संघर्ष और कम मुनाफा ही कुंभकार की पहचान होती है लेकिन चाइनीज सामान व दीपों के बहिष्कार से इस बार कुंभकारों की किस्मत बहुरने वाली है। कम मेहनत में ज्यादा माल का निर्माण और ठीक-ठाक मुनाफा देने के लिए योगी सरकार ने कुम्हारों को इलेक्ट्रोनिक चाक मुहैया करा रही है।

हाईटेक युग ने अब कुंभकारों के लिए भी राहत के दिन निकाल ही लिए है। शामली में इलेक्ट्रोनिक चाक पर दीपों व दूसरे मिट्टी के बर्तनों का भंडार हो रहा है। देश के बाजार में चाइनीज सामान की पकड़ बढ़ी तो कुंभकारों के बुरे दिन शुरू हो गए। चाइनीज झालरों, दीपों और बल्ब ने देशी दीपकों को बिक्री की रफ्तार को कुंद कर दिया।

नतीजा, कुंभकारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया। चाइना के पाक प्रेम का पर्दाफाश हुआ तो देश में चाइना के खिलाफ बिगुल बजा। सोशल मीडिया से शुरू हुआ विरोध धरातल पर आ पहुंचा, लेकिन कुंभकारों की मेहनत का फल उन्हें नहीं मिल पा रहा था। वजह साफ थी, मिट्टी के चाक पर अधिक मेहनत करने पर भी दीपों की संख्या कम ही बन पाती थी।

लेकिन साल-2017 कुंभकारों के लिए खुशखबरी लेकर आया। योगी सरकार ने बरेली, लखनऊ समेत विभिन्न जनपदों में कुंभकारों को बढ़ावा देने के लिए टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया। हाल ही में बड़े बाजारों में इलेक्ट्रॉनिक चाक की बिक्री भी शुरू हो चुकी है।

ऐसा है इलेक्ट्रॉनिक चाक

कुंभकारों के लिए इलेक्ट्रॉनिक चाक खास किस्म का बनाया गया है। यह चाक गोल ही होता है, लेकिन इसे बिजली से चलाया जाता है। इसमें एक किलोवाट का इलेक्ट्रिक मोटर लगा होता है। स्टेंडनुमा बॉडी पर बने चाक की रफ्तार को घटाने व बढ़ाने की भी सुविधा दी गई। हाथ के चाक की अपेक्षा इस इलेक्ट्रानिक चाक पर तेजी से दीपक, मटकी, सुराई समेत विभिन्न सामान बनाया जा सकता है। हाथ के चाक पर तीन घंटे में जितने दीपक बनते है, उतने ही दीपक केवल एक घंटे में इस चाक पर बनाए जा सकते है।

मिट्टी के सामान की क्वालिटी

इलेक्ट्रोनिक चाक की रफ्तार बराबर रहती है, जबकि हाथ के चाक की थोड़ी ही देर में धीमी होनी लगती है। ऐसे में दीपक व अन्य मिट्टी के सामान की क्वालिटी पर फर्क पड़ता है। इलेक्ट्रोनिक चाक एक सी रफ्तार होने से दीपक की गुणवत्ता बेहतर रहती है। बकौल कुंभकार कृष्णपाल इलेक्ट्रोनिक चाक पर आकार अच्छा आता है।

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दीपों की बढ़ती मांग पर इलेक्ट्रॉनिक चाक कारगर

दीपावली के त्योहार के लिए मिट्टी के दीये बनाने वाले कुम्हारों को अब हाथ से चाक चलाने के झंझट से छुटकारा मिल गया है। वहीं इलेक्ट्रॉनिक चाक दिए व अन्य मिट्टी का समान भी कम समय में ज्यादा बनता हैं। कम समय में अधिक मुनाफा, इस बार दीपावली में लोग चायनीज सामान से किनारा कर रहे है। दीपावली पर दीयों की बढ़ती मांग के मद्देनजर शामली में लाखों का कारोबार होगा। इसमें इलेक्ट्रॉनिक चाक कारगर है।

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इन्होंने कहा-

इलेक्ट्रॉनिक चाक हमारे लिए वरदान से कम नहीं है। इसी साल हमनें इलेक्ट्रोनिक चाक बनवाया है। इससे काफी राहत मिल रही है। हमने करीब डेढ़ लाख दीपक तैयार कर लिए है। बाजार में इस बार मांग बढ़ रही है। उम्मीद है कि यह साल अच्छा साबित होगा।

-सुमित कुमार, कुंभकार।


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