पुलिस की लचर कार्यप्रणाली से बढ़ रहीं घटनाएं
शाहजहांपुर : सरे-बाजार हुई किशोर उम्र चचेरी दो बहनों से छेड़छाड़ के बाद हुए बवाल को पर पुलिस ने काबू पा लिया लेकिन लोगों के चेहरे 'खाकी' की नाकामी पर लाल थे। शुक्रवार की घटना के बाद भड़का आक्रोश पूर्व की घटनाओं के बाद लोगों के मन में दबी ज्वाला थी जो किशोरियों के परिजनों के दिलेरी दिखाने से फट पड़ी। हालात ऐसे बने कि महिला अपराध को दबाने में माहिर निगोही पुलिस के बस में कुछ नहीं रह गया।
निगोही में सनसनीखेज घटना के बाद पुलिस ने डैमेज कंट्रोल के लिए सारे जतन किए। मसलन बंद दुकानें कुछ देर में ही खुल गयीं तो हाईवे की ट्रैफिक मानों हल्के ब्रेक के बाद चल पड़ी। देखने से सबकुछ सामान्य प्रतीत हो रहा था लेकिन व्यापारी बेहद खफा थे। जामा मसजिद तिराहे पर पुलिस ने मोर्चा संभाला था। सिपाही, दरोगा कपड़े की एक दुकान पर डेरा जमाए थे। उस समय दुकानदार बेहद तन्मयता से काम निबटाने में जुटा था। मोबाइल पुलिस टीम आगे बढ़ी तो दुकानदार से घटनाक्रम की जानकारी ली तो फट पड़ा। घटना का ठिकरा खाकी पर फोड़ते हुए अपनी भड़ास निकाली। बोला कि छेड़छाड़ की छोटी घटनाओं में शिकायतों पर राजनीतिक दखलंदाजी को तरजीह मिलने से मुश्किल खड़ी हुई है। बाजार में ही चाट की दुकान सजाए एक छोटे व्यापारी ने कहाकि खाकी के काम करने की बदली व्यवस्था ही घटना की जड़ में है। बाजार की परेशानी पुलिस को बताने का मतलब दुश्वारी मोल लेना है। पुलिस वाले ही सूचनाएं लीक अपनी जेब गर्म कर लेते हैं शामत हमारी आ जाती है। थानेदारों की सोच में बदलाव एवं अधिकारियों की अनदेखी से दिनो-दिन मुश्किल खड़ी होती जा रही है। विगत दो वर्षो में दो समस्याएं कुछ ज्यादा ही बढ़ गयी हैं। बाजार में निजी काम से ही पुलिस पहुंचती है। ड्यूटी करते सप्ताह में सिपाही, दारोगा एक-दो बार दिखाई पड़ जायें तो बड़ी बात। कमोबेश अधिकांश व्यापारी बिगड़ती कानून व्यवस्था का ठिकरा खाकी पर ही फोड़ते नजर आए।