कौन बचा रहा स्वास्थ्य कर्मियों को
शाहजहांपुर : नवजात की गर्दन काटने के मामले में आरोपित स्वास्थ्य कर्मियों को कौन बचा रहा है। डीएम की
शाहजहांपुर : नवजात की गर्दन काटने के मामले में आरोपित स्वास्थ्य कर्मियों को कौन बचा रहा है। डीएम की संस्तुति के बावजूद पांच दिनों बाद स्वास्थ्य कर्मियों पर कार्रवाई नहीं होना सवालों में हैं। सनसनीखेज मामले में सीएमएस, सर्जन के खिलाफ कार्रवाई कर सरकार ने चुप्पी साध ली। वारदात के बाद चार पैरामेडिकल स्टाफ भी लापरवाही के आरोप में घिरा है। कार्रवाई में लेटलतीफी से सरकार की सोच पर सवाल उठने लगे हैं।
जलालनगर निवासी हेमंत ने पत्नी गीता को सुरक्षित प्रसव के लिए जिला महिला चिकित्सालय में भर्ती कराया था। प्रसव के दौरान डॉक्टर ज्योति मेहरोत्रा एवं स्वास्थ्य कर्मियों एलिजा, मनोरमा, साजमा ड्यूटी पर थीं। पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया था सुविधा शुल्क के रूप में दस हजार रुपये का भुगतान न होने की नाराजगी में उनके नवजात की गर्दन काट दी गयी। बाद में इलाज के दौरान गीता ने भी एक निजी अस्पताल में दम तोड़ दिया। सरकारी अस्पताल डबल मर्डर की घटना सुर्खियां बनी तो शासन, प्रशासन कांप उठा। जिलाधिकारी शुभ्रा सक्सेना ने ड्यूटीरत डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मियों के निलंबन की संस्तुति की। डीएम की संस्तुति का असर हुआ कि दूसरे ही दिन शासन ने सीएमएस एवं सर्जन को निलंबित कर दिया। ड्यूटीरत आरोपी स्वास्थ्य कर्मियों पर जांच के बाद कार्रवाई की बात कही गयी थी। मंगलवार को शासन के आदेश पर जांच को पहुंची निदेशक महिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. आशा पांडेय ने घटनाक्रम की जांच की। उन्होंने लखनऊ लौटकर डीजी स्वास्थ्य को जांच रिपोर्ट देने की बात कही थी। उन्होंने बातचीत में कर्मियों के निलंबन के संकेत भी दिए थे। निदेशक के जांच कर लखनऊ लौटे 48 घंटे बीत गए। सीएमओ डॉ. सुधीर कुमार गर्ग ने अपने स्तर से जांच टीम गठित की थी। कई स्तर पर हुई जांच के बाद स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई न होना पब्लिक में बड़ा सवाल बनकर उभरा है कि स्वास्थ्य कर्मियों को आखिर कौन बचा रहा है।