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अंबर छूने की ताकत दे रहे अंबरीश

आशीष त्रिपाठी, शाहजहांपुर वह करीब तीन सौ गरीब छात्रों के हीरो हैं। छात्र उनको अपनी सफलता की सीढ़ी

By Edited By: Published: Mon, 22 Dec 2014 01:06 PM (IST)Updated: Mon, 22 Dec 2014 01:06 PM (IST)

आशीष त्रिपाठी, शाहजहांपुर

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वह करीब तीन सौ गरीब छात्रों के हीरो हैं। छात्र उनको अपनी सफलता की सीढ़ी मानते हैं। अपनी हर परेशानी उनके साथ शेयर करते हैं। करें भी क्यों न, आखिर उनकी हर समस्या का समाधान जो हो जाता है। चाहे वह किसी विषय का सवाल हो या शिक्षा की राह में आ रही अन्य कोई बाधा। हम बात कर रहे हैं 24 वर्षीय अंबरीश कुमार की, जो तमाम युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं। उनके सानिध्य में आने वाले युवाओं को तो जैसे अंबर छूने की ताकत सी मिल जाती है।

सैकड़ों गरीबों को दिया सहारा

शाहजहांपुर जैसे पिछड़े जिले में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करना आसान नहीं। इसी के मद्देनजर अंबरीश ने शिक्षा सदन के नाम से शहर में एक निश्शुल्क प्रतियोगी क्लास शुरू की जिसमें तीन सौ छात्रों को विभिन्न प्रतियोगिता की तैयारी कराई जा रही है। इसमें से कई बच्चे विभिन्न सरकारी पदों पर सेलेक्ट भी हो चुके हैं। शहर के कई लोगों को प्रेरित किया ताकि उन गरीब अभ्यर्थियों की किताबें-फॉर्म भरने आदि में मदद हो सके। अंबरीश बताते हैं कि उन्हें याद नहीं कितने बच्चों के सरकारी सेवा के लिए फॉर्म-कॉपी किताबें खरीदवाने में मदद की। अंबरीश के मुताबिक घने अंधकार के बाद ही आशा की किरणें फूटती हैं, बस जरूरत है धैर्यपूर्वक इंतजार करने की।

कुसंगति के चलते बहके कदम

एक दशक पहले मुहल्ला गदियाना निवासी अंबरीश की जिंदगी अंधेरे में डूबी हुई थी। पिता रामप्रकाश शास्त्री सरकारी अध्यापक थे लेकिन अपने बेटे को कुसंगति में फंसे देखकर काफी दुखी और निराश थे। अक्सर कोसते हुए कहते थे कि अगर मैं अपने बेटे को ही नहीं सुधार सकता तो समाज को क्या संदेश दूं। इधर अंबरीश की कुसंगति का रिजल्ट हाईस्कूल में फेल होने के रूप में सामने आया। एसपी ¨हदू इंटर कॉलेज के अध्यापक ने पिता को बुलाकर कहा कि आपका बेटा कभी पास नहीं हो सकता, इसका आइक्यू जीरो है। अध्यापक के सामने पिता के अपमान की आग अंबरीश को अंदर तक झुलसा गई। ..उपेक्षाओं और तानों से अंबरीश को एक बड़ा झटका लगा। इधर बड़ा भाई रजनीश बीएसएनएल में तकनीकी विभाग में चयनित हो चुका था। अंधेरे के गर्त में डूबे अंबरीश ने बुरी आदतों को छोड़ने का निश्चय किया। इच्छाशक्ति मजबूत की, इरादे दृढ़ और हौसला चट्टानी। धीरे-धीरे पढ़ाई में समझ बढ़ती गई। हाईस्कूल पास किया और उन्हीं अध्यापक महोदय के पास जाकर विनम्रतापूर्वक जीवन में सफलता का आशीर्वाद प्राप्त किया। अब सोच के साथ राह भी बदल गई थी। इंटर के बाद बीएससी, एमए, एलएलबी। अंबरीश दोबारा इम्तिहान में फेल नहीं हुए। निश्शुल्क कोचिंग संचालित करने के साथ अंबरीश खुद भी पीसीएस की तैयारी कर रहे हैं।


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