शिशु मृत्युदर पर अंकुश लगाएंगी आशाएं
शाहजहांपुर : शिशु मृत्युदर पर अंकुश लगाने के लिए आशाएं प्रशिक्षित की जाएंगी। पांच दिनों की विशेष ट्र
शाहजहांपुर : शिशु मृत्युदर पर अंकुश लगाने के लिए आशाएं प्रशिक्षित की जाएंगी। पांच दिनों की विशेष ट्रेनिंग में शिशुओं की मौत की वजह एवं बचाव के बारे में बताया जाएगा। ट्रेंड आशाओं को एक किट दी जाएगी, जिससे नवजातों का स्वास्थ्य परीक्षण कर बचाव के प्रयास किए जा सकें। विशेष अभियान में 1573 आशाओं को लगाया जाएगा।
शिशु मृत्युदर 32 पर लाने की कवायद
जिले में शिशु मृत्युदर प्रति एक हजार पर 80 है। दो साल की मशक्कत में चार की कमी आई है। इसे वर्ष 2017 तक 32 पर लाने को महाअभियान चलेगा। मसलन प्रसव के बाद बच्चों की 42 दिनों तक नियमित निगरानी। घरों में पहुंचकर शिशुओं की निगरानी का जिम्मेदारी आशाओं को सौंपी गयी है।
आशाओं को सीसीएफसी की ट्रेनिंग
वर्ष 2017 में शिशु मृत्युदर 32 पर लाने को आशाओं को समकेतिक बाल संरक्षण कार्यक्रम ट्रेंड की जाएंगी। पांच दिनों की विशेष ट्रेनिंग के बाद आशाओं को बच्चों की निगरानी में लगाया जाएगा। निगरानी 42 दिनों की होगी, असल में इसी अवधि में शिशुओं की ज्यादा मौतें होती हैं।
दी जाएंगी विशेष किट
1573 आशाओं को ट्रेनिंग के बाद एक विशेष किट भरे बैग दिए जाएंगे। किट में तोल मशीन, थर्मामीटर, घड़ी एवं एक कंबल होगा। थर्मामीटर से शिशुओं के शरीर का तापमान, तोल मशीन से भार, घड़ी का उपयोग तापमान चेक करते समय होता है।
खीरी से बुलाए गए ट्रेनर
आशाओं को ट्रेनिंग देने के लिए लखीमपुर खीरी जिले से ट्रेनर बुलाए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञ ट्रेनिंग प्रोग्राम की मॉनिट¨रग करेंगे। पांच दिनों तक विशेष ट्रेनिंग कार्यक्रम चलाया जाएगा।
शिशुओं की मौत की वजह
1- साफ-सफाई की कमी से होने वाले इंफेक्शन।
2- ठंड से होने वाली हाइपोथर्मिया (शरीर नीला, ठंडा पड़ना)।
3- कुपोषण होने से वेट का कम होना।
सुरक्षित डिलीवरी के लिए अपनाएं
1- बच्चा होने पर गीली झिल्ली को पोछे।
2- बेबी को मां के शरीर से चिपका देना चाहिए।
3- बच्चे को आधे घंटे बाद स्तन पान कराना चाहिए।
4- किसी भी दशा में नवजात को
नहलाना चाहिए।
5- कई लेयर में कपड़े पहनाना चाहिए।
एहतियात से बचेगी जान : डॉ. मनोज
शाहजहांपुर : शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. मनोज ने बताया कि नवजात शिशु का सिर ढक कर रखना चाहिए। शिशु का सिरी से सीने से बड़ा होता है। नतीजतन ठंड ज्यादा सिर, कान से ही लगती है। मां-बेबी को साथ रखना चाहिए। नवजात के शरीर का नार्मल तापमान 36.50 डिग्री सेंटीग्रेड होना चाहिए। 36 डिग्री को कोल्ड स्ट्रेस के दायरे में आता है। 35.9 से 32 डिग्री मोडरेट हाइपोथर्मिया, 32 से नीचे सीवियर हाइपोथर्मिया हाती है। बचाव को थर्मामीटर से नियमित चेक करना चाहिए। इसके लिए कम से कम तीन मिनट समय निर्धारित है।
सप्ताह भर में पूर्ण हो जाएगी ट्रेनिंग : डॉ. डीके सोनकर
शाहजहांपुर : अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. डीके सोनकर ने बताया कि बताया कि एक सप्ताह में ट्रेनिंग पूर्ण कर ली जाएगी। घर में जन्मे शिशुओं को 42 दिनों में सात तथा अस्पतालों में जन्में शिशुओं को छह बार चेक करना है। 1573 किट मिले हैं, जिसे ट्रेनिंग के बाद आशाओं को किट सौंप दिए जाएंगे।