रामगंगा की समाए आधा दर्जन आशियाने
शाहजहांपुर : बारिश के बाद छोड़ गए पानी से जिले की नदियां उफनाने लगीं हैं। कालागढ़ बैराज से छोड़े गए पानी से जहां रामगंगा की आगोश में करीब आधा दर्जन घर समा गए। वहीं शहर की गर्रा व खन्नौत नदियों को जलस्तर भी लगातार बढ़ रहा है जिसके कारण नदियों के किनारे बसे लोगों और निचले इलाके में रह रहे लोगों को बाढ़ का भय सता रहा है। शहर के बीच से निकलीं गर्रा और खन्नौत नदियों को जलस्तर में लगातार इजाफा हो रहा है। नदियों में बढ़े जलस्तर का कारण बैराज से पानी छोड़ा बताया जा रहा है। एडीएम पीके श्रीवास्तव ने बताया कि बाढ़ की स्थिति को देखते हुए कलेक्ट्रेट में बाढ़ नियंत्रण कक्ष बनाया गया है। किसी भी प्रकार की सूचना और जानकारी के लिए कक्ष के फोन 05842-222712 तथा मोबाइल 9454417598 पर संपर्क कर सकते हैं।
जलालाबाद : कालागढ़ बैराज से छोड़ा गया पानी ग्रामीणों पर कहर बरपा रहा है। मौजमपुर गांव के करीब आधा दर्जन आशियाने रामगंगा की आगोश में समा गए। बढ़े जलस्तर की सूचना पर एसडीएम ने प्रभावित इलाके का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया।
कटरी क्षेत्र गंगा, रामगंगा, बहगुल, सोत नदियों से घिरा है। हर वर्ष इस इलाके के ग्रामीण बाढ़ का दंश झेलने को मजबूर हैं। बीते दिनों हुई बारिश के कारण इन नदियों के जलस्तर में इजाफा हुआ है। वहीं कालागढ़ बैराज से छोड़ा गया एक लाख क्यूसेक पानी रामगंगा के तटीय गांवों के लिए मुसीबत बन गया है। छोड़े गए पानी से अचानक बढ़े जलस्तर से कई गांवों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। उफनाती रामगंगा ने कटान शुरू कर दिया है। मौजमपुर गांव में करीब आधा दर्जन घरों को रामगंगा ने अपनी आगोश में ले लिया है। वहीं प्रशासन द्वारा तीन घरों के रामगंगा में समाने की पुष्टि की गई है। मौजमपुर गांव में कटान की सूचना पर एसडीएम हरिशंकर शुक्ल प्रभावित गांव पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। उनके मुताबिक कालागढ़ बैराज से छोड़ा गया एक लाख क्यूसेक पानी से बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो गया है। राजस्व टीम ने गांव के श्रीपाल सिंह, छोटेलाल, मदनपाल के कच्चे घर नदी में समाने की पुष्टि की गई है। ग्राम पहरुआ के स्कूल व निचले क्षेत्र में पानी भर जाने के कारण ग्रामीणों ने अपने आशियाने खुद उजाड़ने शुरू कर दिए हैं।
ये गांव हैं चिह्नित
426 गांव रिकार्ड में
इलाके के 426 गांवों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक तहसील क्षेत्र में गंगा, रामगंगा, बहगुल नदियों से प्रभावित होने वाले उच्च स्तरीय 302 गांव हैं। इसके अलावा मध्यम स्तरीय 92 गांव तथा लो स्तरीय 32 गांव हैं।
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प्रशासन के दावे
इस बावत एसडीएम हरिशंकर शुक्ल ने बताया कि बाढ़ से निपटने के लिए प्रशासन ने तैयारियां कर रखी हैं। इसके लिए तहसील मुख्यालय पर बाढ़ कंट्रोल रूम की स्थापना के साथ ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 24 बाढ़ चौकियां पर राजस्व कर्मियों की ड्यूटी लगाते हुए उन्हें अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही नावों की आपूर्ति के लिए फर्रूखाबाद के एक विक्रेता से संपर्क किया गया है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा क्षेत्र में नौ शरणार्थी स्थलों की व्यवस्था, चार खाद्य सामग्री स्थल एवं 11 प्राइवेट नावों के अलावा मोटर बोट के संचालन के लिए आठ सेंटरों को चिह्नित किया गया है। प्रभावित क्षेत्रों में सूचना एवं एनाउंस की व्यवस्था को टीम गठित की गई है।
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बाढ़ राहत चौकियां
एसडीएम ने बताया कि क्षेत्र के ग्राम कोला, गोरा महुआ, वजीरपुर, तिकोला, अल्हागंज, चौरासी, रघुनाथपुर, पृथ्वीपुर, जरियनपुर, कीलापुर, मिर्जापुर, कलान, रुकनपुर, लक्ष्मणपुर, विक्रमपुर, परौर, कुंडरिया, सनाय, बेहटा जंगल में बाढ़ चौकियां बनाई गई हैं। यहां प्रशासनिक कर्मियों की तैनाती कर दी गई है।
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इन गांवों पर मंडरा रहा खतरा
प्रशासन द्वारा बाढ़ से निपटने की तैयारियों का दावा किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर क्षेत्र के लोगों की बाढ़ की आशंका से रातों की नींद हराम हो चुकी है। लोग बाढ़ की विभीषिका से बचने के लिए सुरक्षित स्थानों की ओर रुख कर रहे हैं। पहरुआ, ओयला थाथरमई, रघुनाथपुर, रामपुर, संगाहा, मड़ैया, गुजरान, शेरपुर चिरघुटी, चितरऊ, मौजमपुर, हरिहरपुर, कुनिया, कुंडरा, चिकटिया, भरतापुर, धिरौला, मई आदि गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।