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अंतिम संस्कार के बाद वोट डालने पहुंचे

By Edited By: Published: Thu, 17 Apr 2014 11:56 PM (IST)Updated: Thu, 17 Apr 2014 11:56 PM (IST)
अंतिम संस्कार के बाद वोट डालने पहुंचे

शाहजहांपुर : पांच साल में एक बार अनमोल वोट का प्रयोग करने का मौका मिलता है। राष्ट्रहित में इसकी उपयोगिता को देखते हुए कई लोग विभिन्न कष्टों के बावजूद मतदान करने पहुंचे।

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बक्सरिया के संजय मेहरोत्रा की मां का निधन बुधवार रात हो गया था। गुरुवार को अंत्येष्टि करने के बाद परिवार के अधिकांश लोग वोट डालने बूथ पर गए।

कैंटोमेंट बोर्ड में बड़े बाबू व तारीन बहादुरगंज निवासी श्यामाचरण सक्सेना (78) अपनी पत्‍‌नी ओमवती साथ घुटनों के दर्द से लाचार पैदल चलकर वोट डालने आए। लगनमणि देवी (90) अपनी बहू ज्ञानवती, पौत्र विक्रम व पुत्रवधु अन्नू सिंह के साथ मतदान करने आई। पौत्र ही गोद में लेकर पोलिंग बूथ तक लाया। उन्होंने बताया कि वह सन् 52 से पहली लोकसभा चुनाव से वोट डालती आ रही हैं।

काशीराम कॉलोनी, आवास विकास निवासी रामा देवी (55) एसएस कॉलेज में पैदल चलना दूभर होने के बाद भी अकेले वोट डालने आई। रामा देवी ने बताया कि पीठ में कूबड़ होने पर भी हर चुनाव में अपने बहुमूल्य मतदान का प्रयोग किया है।

गर्रा फाटक निवासी रामनिवास प्रजापति (25) के बाएं पैर में फ्रैक्चर होने के बाद भी अपने दोस्त सुनील के सहारे एसएस कॉलेज में वोट डालने आए।

जीजीआइसी कॉलेज पोलिंग बूथ पर श्रीकृष्ण सेठ (81) व पत्‍‌नी मोहनी सेठ (79) वृद्ध व कृशकाय होने पर मतदान की कीमत समझकर वोट डालने आए। सुभाष मेहरोत्रा (60) पैर फ्रैक्चर होने से अपने पुत्र अंकुर (28) के साथ मतदान करने आए। इनका मानना था कि थोड़ी तकलीफ सहकर पांच साल विकास का सुख पाया जा सकता है, तो वोट डालने के लिए कुछ देर कष्ट झेलना सामान्य-सी बात है।

काशीराम कॉलोनी निवासी दोनों पैरों से विकलांग महेंद्र कुमार (40) एसएस कॉलेज पोलिंग बूथ पर अपने वोटर आइडी कार्ड के साथ वोट डालने आए, लेकिन उन्हें बीएलओ ने सूची में नाम न होने का हवाला देकर टरका दिया। वह काफी देर इस आस में बैठा रहा कि कोई उसका मतदान करवा दे, मगर उसकी गुहार किसी बीएललो अथवा संबंधित अधिकारी ने दोपहर 11 बजे तक सुनने की जरूरत नहीं समझी।


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