हथकरघा से दूरी, पावरलूम से प्रेम
संतकबीर नगर: एक दौर वह भी था,जब हथकरघा बुनकरों की संख्या हजारों में थी। एक दौर यह
संतकबीर नगर: एक दौर वह भी था,जब हथकरघा बुनकरों की संख्या हजारों में थी। एक दौर यह भी है कि जब इनकी संख्या घट कर सैकड़ों में आ गई। कम समय में अधिक उत्पादन की चाह में हथकरघा से नाता तोड़ पावरलूम का दामन थाम लिए। यह बात दीगर है कि पावरलूम का दामन थामने वाले बुनकरों पर बिजली की कटौती भारी पड़ रही है। फिलहाल चौंकाने वाली बात यह है कि हथकरघा बुनकरों के लिए वस्त्र मंत्रालय-भारत सरकार लंबे समय से कल्याणकारी योजना चला रही है। इसके बाद भी हथकरघा बुनकरों का इससे नाता तोड़ कर पावरलूम का दामन थामना सरकारी योजनाओं पर सवाल खड़ी कर रही है।
आंकड़ों पर गौर करने पर पाएंगे कि वर्ष 1995-96 में सरकार ने सर्वे कराया था। इस दरम्यान संतकबीरनगर जिला बस्ती में शामिल था। उस समय कुल 5,575 हथकरघे चलते थे, इन हथकरघों से कुल 13,413 बुनकरों की रोजी-रोटी चलती थी। सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के शासनकाल में वर्ष 1997-98 में बस्ती से अलग हो कर संतकबीरनगर नाम से यह नया जिला बना। वर्ष 2009-10 में भारत सरकार ने सर्वे कराया था।चालू वित्तीय सत्र 2017-18 में वस्त्र मंत्रालय-भारत सरकार के दिशा-निर्देश पर कार्बी डाटा मैनेजमेंट सर्विस लिमिटेड सिर्फ हथकरघा बुनकरों की गणना कर रही है। यह गणना कार्य अप्रैल-2017 से शुरु हुआ है। गणना कार्य अंतिम चरण में है, इसके बाद रिपोर्ट भारत सरकार को सौंप दी जाएगी। बहरहाल इस गणना से यह पता चला है कि इस जिले में हथकरघा बुनकरों की संख्या सिर्फ 275 है। इससे यह साबित हो रहा है कि इनका हथकरघा से नाता टूटता जा रहा है और पावरलूम से करीबी बढ़ती जा रही है। यही कारण है कि जनपद में पावरलूम बुनकरों की संख्या 27,000 हजार हो गई है। बहरहाल पावरलूम से तैयार कपड़ों से बुनकरों की रोजी-रोटी चल रही है।
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पहचान पत्र से हथकरघा बुनकरों को मिलेंगे कई लाभ
चालू वित्तीय सत्र 2017-18 में वस्त्र मंत्रालय-भारत सरकार के निर्देश पर कार्बी डाटा मैनेजमेंट सर्विस लिमिटेड नामक संस्था केवल हथकरघा बुनकरों की गणना कर रही है। अब तक इस जिले में 275 में से 103 हथकरघा बुनकर चिह्नित किए जा चुके हैं। इस संस्था द्वारा किए जा रहे सर्वेक्षण के तहत हथकरघा क्षेत्र के पात्र व्यक्तिगत बुनकर, हथकरघा बुनकर सहकारी समितियां तथा हथकरघा से जुड़े स्वयं सहायता समूहों के बुनकरों को पहचान पत्र दिया जाएगा। इसके लिए इन्हें अपना आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, बैंक पासबुक की छाया प्रतिलिपि जमा करके पहचान पत्र प्राप्त कर सकेंगे।
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सूत डिपो की नहीं हो पाई स्थापना
खलीलाबाद शहर के अंसार टोला में पावरलूम चलाने वाले मजहर हुसैन कहते हैं कि जब तक बिजली रहती है तब तक पावरलूम चलते हैं, इससे जुड़े बुनकरों के हाथ-पांव चलते हैं। जैसे ही बिजली चली जाती है, वैसे ही खटर-पटर की आवाज बंद हो जाती है, सन्नाटा पसर जाता है। बिजली के इंतजार में बुनकरों का वक्त गुजरता है। वर्तमान में 24 घंटे में कई बार कटौती के बाद सिर्फ 12 से 14 घंटे बिजली मिल रही है। तत्कालीन डीएम प्रकाश ¨बदु के समय जिले में सूत डिपो की स्थापना की कवायद हुई थी लेकिन यह जमीन ढूंढ़ने तक सीमित हो कर रह गई। यदि सूत डिपो बना होता तो बुनकरों को सूत खरीदने पर दस फीसद सब्सिडी(अनुदान)मिलता।
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हथकरघा बुनकर जरूरी कागजात जमा कर अपना पहचान पत्र अवश्य बनवा लें। वे सहायक आयुक्त-हथकरघा एवं वस्त्र उद्योग परिक्षेत्र गोरखपुर अथवा जनपद स्थित कार्यालय में संपर्क कर पहचान पत्र बनवा सकते हैं। यह पहचान पत्र काफी लाभकारी साबित होगा। इसके जरिये वे हथकरघा बुनकरों के लिए संचालित विभिन्न योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे।
रामबड़ाई
सहायक आयुक्त-हथकरघा एवं वस्त्र उद्योग
परिक्षेत्र-गोरखपुर
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