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लैब तैयार, उपकरण का इंतजार

संतकबीर नगर: गोरखपुर-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग के समीप इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित जल निगम कार्यालय मे

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 Apr 2017 10:53 PM (IST)Updated: Wed, 26 Apr 2017 10:53 PM (IST)
लैब तैयार, उपकरण का इंतजार
लैब तैयार, उपकरण का इंतजार

संतकबीर नगर: गोरखपुर-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग के समीप इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित जल निगम कार्यालय में पानी की गुणवत्ता की जांच के लिए प्रयोगशाला (लैब) बन कर तैयार है लेकिन आर्सेनिक की जांच के लिए जरुरी उपकरण यहां नहीं है। जल निगम के अधिकारियों द्वारा काफी समय से पानी में आर्सेनिक की मात्रा की जांच के लिए गोरखपुर जनपद स्थित प्रयोगशाला में सैंपल भेजा जाता है। यहीं के जल निगम के लैब में इसकी जांच हो जाए, इसके लिए पहल जारी है। एक्सईएन जल निगम इसके लिए लखनऊ गए हुए हैं, लखनऊ से लौटने पर ही पता चलेगा कि उपकरण प्राप्त करने में सफलता मिली अथवा नहीं।

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खलीलाबाद के दो गांवों के पानी में आर्सेनिक ज्यादा

इंसेफेलाइटिस प्रभावित इस जिले में कुछ माह पहले नाथनगर के 38, बघौली के 15, बेलहरकला के चार, हैंसर के 32, खलीलाबाद के 60, मेहदावल के 21, पौली के एक तथा सांथा ब्लाक के सात गांवों में उपयोग में लाए जा रहे हैंडपंप के पानी का सैंपल लिया गया था। पानी में आर्सेनिक की उपलब्ध मात्रा की जांच कराई गई थी। इसमें खलीलाबाद ब्लाक के तरैनी गांव के पानी में 0.03 मिलीग्राम तथा मजगावां गांव के पानी में आर्सेनिक की मात्रा 0.05 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई है।

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पानी में ज्यादा आर्सेनिक से कैंसर का खतरा

एक लीटर पानी में आर्सेनिक की मात्रा 0.01 मिलीग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए। चिकित्सकों के मुताबिक पानी में इससे अधिक आर्सेनिक होना खतरे का सूचक है। ऐसे जल के सेवन करने से कैंसर होने का खतरा रहता है। आर्सेनिक एक सेंटीमीटर वाला मेटेलिक तत्व है, जो आयरन, कैल्सियम, कापर आदि के साथ क्रिया करता है। इसे जहरीलेपन की वजह से खतरनाक माना जाता है। इसमें कैंसर पैदा करने की क्षमता है, यह हवा, पानी, त्वचा, भोजन के जरिये शरीर में पहुंचता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रदेश के हिमालय के पास होने से पानी में आर्सेनिक अशुद्धियां पाई जा रही हैं। हिमालय के चट्टानों के लाखों वर्षों के दौरान घिसने से वातावरण में आर्सेनिक की मौजूदगी बढ़ी है।

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एक लीटर पानी में इतना होना चाहिए आइरन, फ्लोराइड

एक लीटर पानी में 0.0 से 1.0 मिलीग्राम ही आइरन होना सुरक्षित माना जाता है। इससे अधिक यानी 1.5 मिलीग्राम प्रति लीटर होने पर यह शरीर के लिए घातक है। वहीं एक लीटर पानी में 0.1 से 2.0 मिलीग्राम ही क्लोरिन होना सुरक्षित है, पानी-पीने लायक माना जाता है। इससे अधिक यानी 3.0 मिलीग्राम मात्रा में क्लोरिन के पानी में रहने पर शरीर के लिए नुकसानदेह है। इसके इतर फ्लोराइड की मात्रा प्रति लीटर पानी में 0.0 से 1.5 मिलीग्राम होना सुरक्षित माना जाता है, इतनी मात्रा वाला पानी सही होता है। वहीं इससे अधिक यानी 2.0 मिलीग्राम प्रति लीटर होने पर शरीर के लिए घातक है।

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लखनऊ स्थित जल निगम के उच्चाधिकारियों से उपकरण उपलब्ध कराने की मांग करुंगा ताकि जल निगम के लैब में पानी में आर्सेनिक की मात्रा की जांच की जा सके। इसके उपलब्ध हो जाने पर यही पर इसकी जांच की जाएगी।

- वीपी ¨सह, एक्सईएन-जल निगम, संतकबीरनगर।


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