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अब रोजाना नौ से ग्यारह बजे तक सुनेंगे अधिकारी समस्या

संतकबीर नगर: अब आइजी, मंडलायुक्त, डीआइजी, डीएम, एसएसपी/एसपी व अन्य अधिकारी अपने-अपने दफ्तरों में प्र

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Apr 2017 11:25 PM (IST)Updated: Tue, 25 Apr 2017 11:25 PM (IST)
अब रोजाना नौ से ग्यारह बजे तक सुनेंगे अधिकारी समस्या
अब रोजाना नौ से ग्यारह बजे तक सुनेंगे अधिकारी समस्या

संतकबीर नगर: अब आइजी, मंडलायुक्त, डीआइजी, डीएम, एसएसपी/एसपी व अन्य अधिकारी अपने-अपने दफ्तरों में प्रत्येक कार्यदिवस में सुबह के नौ बजे से ग्यारह बजे तक जन समस्याओं को सुनेंगे। लोगों की समस्याओं को गुणवत्तापूर्वक निस्तारित भी करेंगे। नागरिकों द्वारा की जाने वाली शिकायतों और इसके निस्तारण की सूचना पाक्षिक रुप से देनी होगी। प्रत्येक माह की 16 तारीख तक व द्वितीय पक्ष की सूचना अगले माह की पहली तारीख तक शासन को उपलब्ध करानी होगी। इसके बाद जनपदवार प्राप्त शिकायतों की संख्या व निस्तारण की स्थिति को मुख्यमंत्री के सामने रखा जाएगा। शिकायतों को सुनने और इसके गुणवत्तापूर्वक निस्तारण में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री की पहल पर मुख्य सचिव शासन राहुल भटनागर ने सूबे के सभी डीएम को इस आशय का पत्र जारी कर दिया है।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनता दर्शन में अक्सर कानून व्यवस्था, जमीन पर कब्जा, संपत्ति विवाद, पात्र व्यक्तियों को आवास न मिलने, विधवा एवं वृद्धावस्था पेंशन न मिलने, छात्रवृत्ति का भुगतान व प्रतिपूर्ति न मिलने, राशन कार्ड न बनाए जाने तथा प्राइवेट स्कूलों में अधिक शुल्क लिए जाने का मामला अधिक आ रहा है। ये मामले जनपद स्तर पर निस्तारित हो सकते हैं लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के कारण मुख्यमंत्री के पास पहुंच रहे हैं। इससे यह साबित हो रहा है कि प्रशासनिक अधिकारी शिकायतों के निस्तारण में अरुचि दिखा रहे हैं। मुख्य सचिव ने जारी पत्र में कहा है कि कभी-कभी छोटी-छोटी समस्याओं का समय से निस्तारण न होने से यह उग्र रुप धारण कर लेती है। इससे कानून-व्यवस्था पर चुनौती आ जाती है। इसलिए सभी अधिकारी 15 दिन के अंदर जन समस्याओं का हर-हाल में गुणवत्तापूर्वक निस्तारित करें। इससे शिकायतकर्ताओं को भी अवगत कराया जाए। बताते चलें कि इसके पहले प्रत्येक कार्यदिवस में सुबह 10 बजे से दोपहर के 12 बजे तक जनता दर्शन में लोगों की समस्याएं अधिकारी अपने दफ्तर में सुनते थे, इस आशय का शासनादेश जारी हुआ था।

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