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प्रभु कथा की महिमा अपरंपार

संतकबीरनगर : परमात्मा की कथा व महिमा का अंत नहीं है। मनुष्य किसी प्रकार से भी उनके नाम का स्मरण करता

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Mar 2017 10:50 PM (IST)Updated: Thu, 23 Mar 2017 10:50 PM (IST)
प्रभु कथा की महिमा अपरंपार
प्रभु कथा की महिमा अपरंपार

संतकबीरनगर : परमात्मा की कथा व महिमा का अंत नहीं है। मनुष्य किसी प्रकार से भी उनके नाम का स्मरण करता है जो उसका कल्याण होता है। यज्ञ में दी गई आहूतियां फलित होकर मानव का कल्याण करती है। साथ ही वातावरण भी शुद्ध रहता है।

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यह बातें गुरुवार को मेहदावल के ग्राम मंझरिया तिवारी में चल रहे शतचंडी महायज्ञ अयोध्या से पधारे आचार्य सर्वेश्वर ने कही। उन्होंने

राजा परीक्षित व सुकदेव के प्रसंग को विस्तार देते हुए कहा कि वृत्तासुर असुर योनि में पैदा होने के बार भी भगवान के करीब पहुंचा। इसका कारण पूर्व जन्म में चित्रकेतु नाम का राजा होने के समय किया गया कर्म था।

माता पार्वती के श्राम से उसे असुर योनि मिली। फिर भी प्रभु का स्मरण नहीं छोड़ा। आज कलियुग के प्रभाव से मनुष्य का मन पाप कर्मों की तरफ बढ़ने लगा है। इससे बचने के लिए आध्यात्म मार्ग का अनुसरण करना जरूरी है। इस मौके पर जितेंद्र मणि त्रिपाठी, दीनानाथ चौधरी, दूधनाथ, गो¨वद तिवारी, बूढ़ननाथ, कैलाश, दयाशंकर आदि मौजूद रहे।


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