शासनादेश की उड़ाई जा रही धज्जियां
संतकबीर नगर : जनपद के विभिन्न न्यायालयों में छह सरकारी वकील की नियुक्ति होनी है। इसके लिए अधिवक्ताओं
संतकबीर नगर : जनपद के विभिन्न न्यायालयों में छह सरकारी वकील की नियुक्ति होनी है। इसके लिए अधिवक्ताओं का पैनल भी तैयार हो चुका है। विशेष सचिव उप्र शासन द्वारा बार-बार पैनल उपलब्ध कराए जाने के निर्देश के बावजूद मिलीभगत के चलते अभी तक तैयार हुए पैनल की सूची शासन को भेजने में कोताही बरती जा रही है। इससे आवेदकों में भारी रोष व्याप्त है।
जनपद में दीवानी न्यायालय स्थापित होने के उपरांत सरकार की तरफ से पैरवी करने के लिए तत्काल शासकीय अधिवक्ताओं की आवश्यकता महसूस हुई। बस्ती दीवानी कचहरी के दो अधिवक्ता व धनघटा तहसील में प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले एक अधिवक्ता की इस पद पर अस्थाई नियुक्ति हुई, जिनकी कार्य-अवधि विस्तार प्रत्येक 15 दिन के लिए होती रही। यह स्थिति लगभग वर्ष भर चलता रहा बाद में उन्हें स्थाई किया गया।इसी बीच प्रदेश सरकार ने बस्ती के दोनों अधिवक्ताओं को कार्य मुक्त कर दिया।लेकिन कुछ दिन बाद एक अधिवक्ता को अस्थायी तौर पर कार्य करने की अनुमति दी गयी। बसपा सरकार के समय से कार्य कर रहे इन शासकीय अधिवक्ताओं के ऊपर सपा सरकार की भी रहमत बरकरार रही। इसी बीच दीवानी न्यायालय में कोर्ट की संख्या बढ़ गयी,पुन: शासकीय अधिवक्ताओं की आवश्यकता महसूस हुई तब दो अन्य अस्थाई अधिवक्ता नियुक्त किये गए जिनका कार्य-अवधि विस्तार प्रत्येक 15-15 दिन के लिए हो रहा है। विधि व्यवस्था के अनुसार शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति जिलाधिकारी व जिला जज के सहमति पर बनाये गए पैनल के तीन नामों में से किसी एक की नियुक्ति प्रदेश सरकार की अनुशंसा पर की जाती है।वहीं अस्थाई शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति इस व्यवस्था से परे हो जाती है। विधि व्यवस्था के अनुरुप नियुक्ति करने हेतु जनपद में विधि परामर्शी निर्देशिका के अनुसार जिला जज व जिलाधिकारी की राय से विभिन्न न्यायालयों में छ: शासकीय अधिवक्ताओं के नियुक्ति हेतु पैनल तैयार कर शासन को उपलब्ध कराने का निर्देश जनवरी माह में ही हुआ था।सरकारी वकील बनने का सपना संजोये कई अधिवक्ताओं ने उक्त पद हेतु निर्धारित समयावधि 11 ़फरवरी 2016 के भीतर आवेदन भी किया। पैनल की सूची तैयार कर तत्कालीन जिला जज सैय्यद मो.हसीब के द्वारा जिलाधिकारी को प्रेषित भी किया गया। प्रेषण के उपरान्त कई माह का विलंब किया गया। इसी बीच एक आपत्ति आ गयी, जिसका निस्तारण होने में भी कई माह का विलंभ हुआ। तदुपरान्त जानबूझकर विलंब करते हुए शिथिलतापूर्वक आवेदकों के चरित्र का सत्यापन भी कराया गया। करीब आठ माह का समय बीत जाने के उपरान्त भी पैनल की सूची शासन को भेजी न जा सकी है। वहीं विशेष सचिव जे.पी. ¨सह उ.प्र. शासन द्वारा बार -बार जिलाधिकारी को रिमाइंडर भेजकर सूची उपलब्ध कराये जाने का निर्देश दिया जा रहा है। बावजूद इसके सम्बंधित एक लिपिक व उसके मातहत के मनमाने पूर्ण रवैये के चलते पहले से कार्य कर रहे शासकीय अधिवक्ताओं को लाभ पहुंचाने के गरज से जानबूझकर सूची भेजने में विलंब किया जा रहा है,जिससे चुनाव आचार संहिता लग जाए और मामला अधर में लटक जाए। जनपद बार एसोसिएशन के अध्यक्ष शशि कुमार ओझा का कहना है कि पैनल के अधिवक्ताओं के साथ इस तरह से हो रहे अन्याय को कत्तई बर्दाश्त नही किया जाएगा।सम्बंधित लिपिक की नियति सा़फ नही दिख रही है शीघ्र ही कोई ठोस कदम उठाने हेतु बाध्य होना पड़ेगा।सिविल बार एसोसिएशन के नवनियुक्त महामंत्री वीरेंद्र नाथ मिश्र ने बताया कि अभी हाल ही में नवनिर्वाचित अध्यक्ष लाल जी यादव के नेतृत्व में डीएम से मिलकर इसकी शिकायत की गयी है उन्होंने आश्वासन दिया है कि गठित पैनल शीघ्र ही शासन को भेज दी जायेगी। समाजवादी पार्टी के अधिवक्ता प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष राममिलन यादव ने बताया कि न्याय सहायक विगत कई वर्ष से एक ही पटल पर कार्यरत है। उसके व उसके एक चपरासी के मनमानीपूर्ण रवैये की शिकायत शासन स्तर पर की जा चुकी है।शासन स्तर से शीघ्र ही कार्रवाई हो सकती है।बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने सम्बंधित लिपिक को चेताया भी है कि अधिकारी को गुमराह कर सूची न भेज कर न्याय का गला घोंटने का प्रयास न करे अन्यथा इसका भयानक परिणाम भुगतना पड़ सकता है।
जिलाधिकारी ने कहा
इस संबंध में जिलाधिकारी सुरेश कुमार से वार्ता करने पर उन्होंने बताया कि प्रकरण की जानकारी है एक-दो दिन में सूची शासन को भेज दी जायेगी।