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धनघटा में खतरे के निशान से 20 सेमी नीचे बह रही घाघरा,खतरा बरकरार

धनघटा : घाघरा का जलस्तर कम होने से कुछ परेशानियां कम हुई हैं । अब माझा के खेतों से पानी हटने लगा है।

By Edited By: Published: Mon, 25 Jul 2016 12:15 AM (IST)Updated: Mon, 25 Jul 2016 12:15 AM (IST)

धनघटा : घाघरा का जलस्तर कम होने से कुछ परेशानियां कम हुई हैं । अब माझा के खेतों से पानी हटने लगा है। ¨कतु किसानों अपने खेतों की निगरानी के लिए नावों का सहारा लेना पड़ रहा है। पानी के पीछे जाने से मिट्टी और बालू की सिल्ट फसलों पर अपना असर छोडने लगी है । खतरे के निशान से 20 सेमी नीचे बह रही घाघरा को देखकर बचाव की तैयारियां की जा रही हैं। धनघटा,पौली/हैंसर बाजार संवाददाता के अनुसार घाघरा में बाढ का पानी कम होने से तटवासियों की मुसीबतें कुछ तो कम हुई हैं । ¨कतु समस्या बरकरार है। पानी के पीछे जाने से फसलों पर मिट्टी की सिल्ट चढ गई है जो कि पैदावार को प्रभावित करने के लिए काफी है । पडरिया और नकहा गांव के कुछ घरों के पीछे बाढ का पानी भरा पानी कुछ कम हुआ है। धनघटा तहसील के तुरकौलिया में लगे मापक यंत्र पर नजर दौडाएं तो रविवार को दोपहर में घाघरा खतरे के निशान से 20 सेमी नीचे 79.15 पर बह रही थी । जबकि शनिवार को 79.35 पर बह रही थी ।

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पौली के पडरिया और नकहा दो ऐसे गांव हैं जो कि बाढ के कारण सर्वाधिक प्रभावित होते हैं । नाव की कमी के कारण दिन चर्या व काम काज प्रभावित रहती है। स्थिति देखते हुए लोगों ने नावों की व्यवस्था में जुट गए हैं। पुरानी व जर्जर नावों की मरम्मत का कार्य भी शुरू हो गया है। नाव के अभाव में बच्चे अपने लिए नए तरीकों को इजाद किए है,जो कि कार्क के डिब्बे को नाव के रुप में प्रयोग कर रहे हैं । पौली क्षेत्र के नकहा और पडरियां के डेढ दर्जन लोगों के घरों के पीछे बाढ का पानी भर जाने के कारण संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ गया है । यहां उल्टी -दस्त से कई पीड़ित भी हैं। इसके साथ ही अब पानी भरने के कारण विषैले जीव जंतु का खतरा बना हुआ है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रोसया बाजार चिकित्साधिकारी डा. आरके उपाध्याय ने बताया कि बाढ प्रभावित क्षेत्रों में पानी के हटने के बाद रोगों के फैलने की संभावना रहती है। जल जमाव से मच्छरों का प्रकोप बढ़ा है। मच्छरदानी का प्रयोग करने के साथ गड्ढों में मिट्टी का तेल गिरा देना चाहिए ।


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