दो साल बाद भी बरकरार हैं चुनौतियां
गोरखपुर : ठीक दो साल पहले 26 मई को प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी की ताजपोशी हो रही थी। समूचा
गोरखपुर : ठीक दो साल पहले 26 मई को प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी की ताजपोशी हो रही थी। समूचा देश जश्न में डूबा था, लेकिन पूर्वोत्तर रेलवे के चुरेब स्टेशन पर चीख-पुकार मची थी। दिल्ली से गोरखपुर आ रही 12556 गोरखधाम सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन चुरेब में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। रेल लाइन फ्रैक्चर के चलते 11 बोगियां पटरी से उतरकर क्षतिग्रस्त हों गई। लोको पायलट सहित 29 यात्री काल के गाल में समा गए। 100 से अधिक यात्री घायल हुए।
महीनों के गहन जांच के बाद स्पष्ट हो गया कि स्वीच रेल के ब्रेकेज के चलते यह दुर्घटना हुई। इसके बाद रेलवे का ध्यान फ्रैक्चर पर गया। रेलवे मंत्रालय ने भी कहा कि इससे सबक लिया जाएगा। इसके बाद पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन सतर्क हुआ और सबक भी लिया। लेकिन दो साल बाद भी चुनौतियां समाप्त नहीं हुई। संबंधित कर्मियों की उदासीनता के चलते नियमानुसार रेल लाइनों की जांच समुचित नहीं हो पाती है। मामला संज्ञान में आने के बाद कार्रवाइयों के नाम पर सिर्फ खानापूरी होती है। आज भी अगर कोई रेल फ्रैक्चर मिल जाता है तो रूह कांप उठती है। वर्ष 2015-16 में ही 79 फ्रैक्चर पाए गए हैं। हालांकि, इस वर्ष मई तक महज दो फ्रैक्चर ही मिले है। मुख्य जनसंपर्क अधिकारी संजय यादव के अनुसार दो वर्ष में रेल फ्रैक्चर घटकर लगभग आधी हो गई है। दुर्घटनाओं पर अंकुश लगा है। वर्ष 2013-14 में पूर्वोत्तर रेलवे में जहां रेल और वेल्ड फ्रैक्चर 126 था, वहीं वर्ष 2014-15 में घटकर 89 हो गया। वर्ष 2015-16 में तो महज 79 फ्रैक्चर ही पाए गए हैं। स्वीच एक्सपेंशन प्वाइंट (एसईजे) और लाग वेल्डेड रेल (एलडब्लूआर) तथा प्वाइंट की निगरानी तेज कर दी गई। फुट प्लेटिंग बढ़ा दी गई। अति आधुनिक मशीन अल्ट्रा सोनिक फ्ला डिटेक्टर (यूएसएफडी) से रेल लाइनों की एक्सरे करती है। इससे पता चलता है कि लाइन कमजोर है या दुरुस्त। लाइन कब तक चलने में सक्षम है। इसी रिपोर्ट के आधार पर रेल लाइनों को बदला जाता है। सीपीआरओ के अनुसार यूएसएफडी पर ओवर ड्यू है। लाइनों को बदलने के लिए ट्रैक चार्ट सिस्टम पर कार्य होता है। लाइफ पूरी होने से पहले ही लाइनों को बदल दिया जाता है। संरक्षा को देखते हुए रेलवे ने सतर्कता बढ़ा दी है। ड्यूटी के दौरान लोको पायलटों के मोबाइल उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। साइन आन और आफ के अलावा रास्ते में भी उनका श्वास परीक्षण कराया जा रहा है। सीपीआरओ के अनुसार उनसे 10 घंटे की ही ड्यूटी ली जा रही है। आराम के लिए लगभग सभी प्रमुख स्टेशनों पर सुविधाजनक रनिंग रूम स्थापित हैं।