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श्रद्धापूर्वक मना श्रीगुरु नानकदेव का प्रकाशोत्सव

संतकबीर नगर: प्रथम गुरु श्रीगुरु नानक देव का 546 वां प्रकाशोत्सव बुधवार को खलीलाबाद स्थित गुरुद्व

By Edited By: Published: Wed, 25 Nov 2015 10:53 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2015 10:53 PM (IST)

संतकबीर नगर:

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प्रथम गुरु श्रीगुरु नानक देव का 546 वां प्रकाशोत्सव बुधवार को खलीलाबाद स्थित गुरुद्वारा श्रीगुरु ¨सह सभागार में श्रद्धापूर्वक मना। श्रीगुरु साहब के दरबार में भव्य झांकी की सज्जा कर अखंड पाठ, गुरु वाणी, भजन-कीर्तन किया गया। गुरु के महान कार्यों का स्मरण कर उनके समक्ष मत्था टेक मुराद मांग अपनी अरदास रखी। अटूट लंगर में भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। शहर स्थित गुरुद्वारे में प्रथम पातशाही गुरू नानकजी का प्रकाशोत्सव पर्व पर लोगों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। गुरुद्वारे में पहुंच कर गुरू के प्रति समर्पण का भाव रख तन्मयता से एक-एक कार्यक्रम को बेहतर बनाने में लगे हुए थे। सभी ने गुरु महिमा व पाठ श्रवण कर गुरु के समक्ष मत्था टेक मुरादे मांगी और उनके पूर्ण होने पर अरदास रखी। भजन शुरु हुआ तो समूचे लोग गुरु भक्ति में श्रद्धा भाव से झूमने लगे। सामूहिक भजन-कीर्तन में हर कोई तन्मयता से गीत को दोहरा रहा था। बीच-बीच में सत् श्री अकाल वाहे गुरु की खालसा वाहे गुरु की फतह, जो बोले सो निहाल से परिसर गुंजायमान रहा। संदेश में दया की कपास, संतोष का सूत, जत की गांठ, सत्य का बंटा का जनेव धारण करने को कहा और यह न टूटने न मैला होने वाला बताकर आत्मसात करने पर बल दिया गया। अध्यक्ष सरदार अजीत ¨सह ने कहा कि सिख धर्म के प्रथम गुरूनानक देव जी कण-कण, जन-जन में व्याप्त है। भारत के अलावा अन्य देशों में धर्म का उपदेश देकर मार्ग दर्शन किया। मुधर भजन के माध्यम से उन्होंने मानव-मानव एक समान है, जाति वाद का त्याग, सेवा और नम्रता की भावना को विकसित करने का संदेश दिया।

अध्यक्ष सरदार अजीत ¨सह ने कहा कि समानता, एकता, सदाशयता, सामाजिक न्याय प्रियता के कट्ट समर्थक गुरू नानक देव मानवता व अ¨हसा के साथ धर्म रक्षा के लिए पल-पल समर्पित रहे। विलक्षण व्यक्तित्व के धनी एक महान संत, निष्ठावान साधक, क्रांति दर्शी, समाज सुधारक, प्रगतिशील पंथ प्रवर्तक एवं मानवतावादी ¨चतक सदैव स्मरणीय है। सत¨वदर पाल ¨सह जज्जी ने कहा कि प्रथम गुरू गुरू नानक देव युग प्रवर्तक व लोकनायक रहे। बीबी बलवंत कौर ने कहा कि प्रथम गुरू गुरू नानक देव मानवता व अ¨हसा के साथ धर्म रक्षा के लिए पल-पल समर्पित रहे। विसंगतियों व आडम्बरों के विरोधी रहे। सतिगुर नानक प्रगटिया मिटी धुंध जगि चानण होया, प्रकटे नानक जब तारन हित., खुद प्रकटे प्रभु नानक रूपा। ऊंचा दर बावे नानक दा- -नानक नाम चढ़ दी कला तेरे भाणै शरबत दा भला- आदि शबद की भक्तिरस का आनंद लेते रहे।

इस मौके पर सरदार हरिभजन ¨सह, अजय वर्मा, धर्म ¨सह, प्रीतपाल ¨सह, जगजीत ¨सह, पर¨वदर ¨सह, सुरेंद्र ¨सह, सरदार शैंकी ¨सह राजपाल, रवींद्र पाल ¨सह टोनी, अमर जीत ¨सह, परमजीत कौर, रा¨जदर कौर, मनमीत कौर, कमलजीत कौर आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

----------गुरुद्वारा में गुरू वाणी

संतकबीर नगर: मगहर स्थित गुरुद्वारा में बुधवार गुरुवाणी हुई। यहां बाबा अमरीक ¨सह के नेतृत्व में कार्यक्रम किए गए। उन्होंने कहा कि गुरू मानवता, सदाचार, आपसी सछ्वाव, भाईचारा का पालन, राष्ट्रीयता के प्रबल समर्थक रहे। धर्म एवं भारतीय जनमानस में नई शक्ति भरने का कार्य किया। बीबी बलवंत कौर ने आदर्शों को आत्म सात करने पर बल दिया। जिस समय धार्मिक आस्थाएं टूट रही थी समाज बिखर रहा था उस समय एकजुटता से कार्य का संदेश दिया। इस मौके पर डा. साहेब झाबे वाले सहित खलीलाबाद व अन्य स्थानों की संगत उपस्थित रही।


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