श्रद्धालुओं ने लगाई श्रद्धा की डुबकी
संतकबीर नगर : कार्तिक पूर्णिमा पर बुधवार को सरयू, राप्ती, आमी आदि नदियों के घाटों पर लाखों श्रद्धाल
संतकबीर नगर : कार्तिक पूर्णिमा पर बुधवार को सरयू, राप्ती, आमी आदि नदियों के घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई। गो-दान किया और जरूरतमंदों में दान-पुण्य, पूजा-पाठ कर ईश्वर की आराधना की। इस दौरान कुछ स्थानों पर आकर्षक मेला भी लगा रहा। भीड़-भाड़ को देखते हुए सुरक्षा के लिए पर्याप्त मात्रा में पुलिस फोर्स भी तैनात रही।
कार्तिक पूर्णिमा पर जनपद व आसपास के क्षेत्रों से श्रद्धालुओं का जत्था वाहनों से सरयू नदी के घाटों पर पहुंचा। भारी संख्या में श्रद्धालुओं एक दिन पूर्व ही डेरा डाल दिया था। मयंदी, बिड़हर, चहोड़ा व अन्य घाटों पर मेला जैसा ²श्य रहा। कुआनों नदी स्थित चांड़ी घाट, बेलहा घाटों पर पूर्णिमा के पावन पर्व पर भारी तादाद में श्रद्धालुओं ने स्नान किया। यहां पर भी मेले जैसा ²श्य रहा। पूजा-पाठ को लेकर महिलाओं व बच्चों में सर्वाधिक उत्साह रहा।------------------
घाटों पर उमड़ा आस्था का सैलाब
धनघटा : पूर्णमासी के दिन हजारों श्रद्धालुओं ने पवित्र सरयू के विभिन्न घाटों पर डुबकी लगाकर दान -पुण्य व कथा सुनकर पुण्य के सहभागी बने। पवित्र सरयू के चहोड़ा, मयंदी, राम बाग तथा बिडहर घाट पर सुबह से ही स्नानार्थियों का तांता लग गया। धनघटा उमरिया, शनिचरा, हैंसर, नरायणपुर में भोर से ही तांता लगा रहा। पुलिस व्यवस्था भी चाक चौबंद देखी गई बिडहर घाट पर कमान संभाले रहे। मेला पूर्णतय शांतिपूर्ण ढंग से चलता रहा। महिलाएं सूप, लाई, मिष्ठान व बच्चों ने खिलौना देखा।
-----------मन की शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण है यह पर्व
¨हदू संस्कृति में कार्तिक मास नियम, संयम का महीना है। पूर्णिमा के मौके पर स्नान का विशेष महत्व है। इस मौके पर पवित्र नदी में स्नान-ध्यान आवश्यक है। मिलजुल कर प्रसाद ग्रहण करने से समरसता का भाव पैदा होता है। त्रेता युग में भगवान श्रीराम अवध क्षेत्र के जंगल में भ्रमण करने आए और कुछ दिन सरयू नदी के किनारे वास किया। राम बाग घाट नाम से विख्यात सरयू के किनारे सैकड़ों वर्षों से भगवान राम के पद चिह्न की धूल माथे पर लगा कर भक्त जन कार्तिक पूर्णिमा पर मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं। पर्व मन की शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं। स्कंद पुराण में इसकी महत्ता का उल्लेख मिलता है।
भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। इससे आत्मिक संतुष्टि मिलती है। पर्व में मानव और प्रकृति के बीच मजबूत संबंध स्थापित होता है। इसके माध्यम लोगों में अच्छाई यानी पुण्य को अर्जित किया जाता है। चप्पे-चप्पे पर पुलिस का पहरा, महिला पुलिस रही शिथिल
धनघटा : मेले की व्यवस्था देखने के लिए सीओ वीके श्रीवास्तव व एसडीएम हरीराम यादव खुद कमान संभाले हुए थे। वहीं एसओ ब्रजेश यादव भी मुस्तैदी से तैनात रहे। हर बैरियर पर पर्याप्त फोर्स की व्यवस्था की गई थी। इसके साथ ही प्रत्येक बैरियर पर एक एसओ व एक एसआइ तैनात थे। हालांकि महिला पुलिस शिथिल दिखीं।
नेतवापुर के पास वाहन चालक की लापरवाही से घंटों लगा जाम
धनघटा : मेले से वापस होने के बाद दिन के लगभग बारह बजे एक पिकअप चालक की लापरवाही के चलते जाम लग गया, जिससे लोगों को लगभग आधे घंटे से जादा समय तक परेशान होना पड़ा। पुलिस ने मौके पर पहुंच कर किसी तरह से जाम को हटवाया तब आवागमन बहाल हो सका।