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सदाचारी बनने के लिए धैर्यवान होना जरूरी

संतकबीर नगर : बच्चों को संस्कारों की सीख देने के लिए दैनिक जागरण की संस्कारशाला बुधवार को खलीलाबाद

By Edited By: Published: Wed, 07 Oct 2015 11:06 PM (IST)Updated: Wed, 07 Oct 2015 11:06 PM (IST)

संतकबीर नगर : बच्चों को संस्कारों की सीख देने के लिए दैनिक जागरण की संस्कारशाला बुधवार को खलीलाबाद पब्लिक स्कूल में आयोजित हुई। यहां बच्चों ने धैर्य व सदाचार का पाठ पढ़ते हुए अच्छे संस्कार से स्वयं पर, मित्रों पर तथा परिवार व समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को जाना। अंत में बच्चों ने प्रश्नों के माध्यम से जिज्ञासा शांत कर समस्याओं का समाधान किया।

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बच्चों को संबोधित करते हुए शिक्षिका अर्चना श्रीवास्तव ने कहा कि विद्यार्थियों के लिए ही नहीं बल्कि आम आदमी के लिए भी धैर्य जरूरी है। बिना धैर्य के मानव जीवन की संकल्पना नहीं की जा सकती है। धैर्य इंसान को मजबूती प्रदान करना है। धैर्यवान मनुष्य कभी बिचलित नहीं होता है। धैर्य खोकर कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता है। सदाचारी होने के लिए धैर्यवान होना जरूरी है। इसके अभाव में शांतचित निर्णय लेने की क्षमता का विकास नहीं होगा।

उप प्रधानाचार्य पूनम पांडेय ने कहा कि सदाचार व व्यवहार दोनों एक दूसरे के पूरक है। संतुलित रहने के लिए धैर्यवान होना आवश्यक है। धैर्य से ही हम जीवन की चुनौतियों का सरलता से मुकाबला कर सकते हैं। धैर्य की कमी के कारण ही आपस में छोटी-छोटी बातों को लेकर विवाद हो जाता है। उन्होंने कहा कि संस्कारित शिक्षा ही जीवन की आधार शक्ति है। शिक्षा में जीवन व संस्कार बिना शिक्षा का महत्व नही है। संस्कार ग्रहण करने में सहजता, सभ्य, कोमलता, का भाव जरूरी है। आदर्श मनीषा पांडेय ने कहा कि आचरण व व्यवहार से हम शिक्षित कहलाते हैं। धैर्य से आदर्श गुण विकसित करते हैं। शिक्षिका निवेदिता राय ने विषय के पहलुओं को समझाते हुए कहा कि संस्कार ही वह दौलत है, जो मानवता को समाज में उत्कृष्ट स्थान दिलाता है। श्रीमती पूनम, रागिनी राय, मंदाकिनी ने विषय रखते हुए कहा कि जागरण का यह कार्य समाज में बदलाव लाएगा। मनोज पांडेय, सीबी यादव ने कहा कि आज जागरण परिवार ने विद्यालय में संस्कारशाला का आयोजन किया है, यह सभी के लिए गौरव का विषय है।

इस अवसर पर विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाएं व छात्र

उपस्थित रहे।

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-जागरण की पहल सराहनीय

संस्कार परिवार से आते हैं। संस्कारों में परिवर्तन शाश्वत है। बच्चों में शुरू से धैर्य पैदा करना उचित रहता है। दैनिक जागरण ने संस्कारशाला कार्यक्रम से समाज को बदलने का बीड़ा उठाया है। हमारे आचरण दूसरों के लिए प्रेरणाप्रद हों इसके लिए संस्कारों को समझना होगा। स्वयं के प्रति, परिवार के प्रति, माता-पिता, शिक्षक -शिक्षिकाओं, सगे -संबंधियों के प्रति सदव्यवहार करें, स्वयं को बदलना होगा। यह केवल सकारात्मक सोच से संभव है।

श्रीमती अरूणा खन्ना

-प्रबंध निदेशिका

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-संस्कारों की शिक्षा जरूरी

- दैनिक जागरण का कार्यक्रम विद्यालय में होना गौरव का विषय है। इससे बच्चों में उर्जा का संचार होने के साथ दायित्वबोध हो रहा है। विषय पर एकाग्र होकर शिक्षा ग्रहण कर रहें हैं। यह एकाग्रता आने वाले समय में विकास का अधार बनेगी। जागरण परिवार का यह कार्य निश्चित ही यह सकारात्मक परिवर्तन का आधार बनेगा।

- श्रीमती अनुराधा

-निदेशिका केपीएस

------बच्चों ने सराहा, अपनाएंगे सदाचार- खलीलाबाद पब्लिक स्कूल की छात्रा सविता, श्रेया, दिशा चौधरी ने कहा कि विद्यालय में दो दिन कार्यक्रम हुआ। बहुत कुछ सीखने को मिला। स्तुति व वैष्णवी ने कहा कि धैर्य व सदाचार से ही हम औरों पर प्रभाव डाल सकेंगे। सबाना, अवंतिका, उर्बिका ¨सह ने कहा कि दैनिक जागरण ने सभी को संस्कारित बनाने का अभियान चलाया है। पाठशाला अच्छी लगी। आदित्य राज ¨सह ने कहा कि हम परिवार व विद्यालय में संस्कार ग्रहण करते हैं, यहां संस्कार के अनेकों विषयों से संबंधित जानकारी मिली। अंशुमान ¨सह ने कहा कि यह संस्कारशाला से सींखने को मिला।


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