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रमजान इबादत व खुदाबंदी का माह

-रमजान के तेरह रोजे पूरे, 21 रोजे से चलेगा तीसरा अशरा जागरण संवाददाता, संत कबीर नगर: रमजान

By Edited By: Published: Wed, 01 Jul 2015 06:09 PM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2015 06:09 PM (IST)
रमजान इबादत व खुदाबंदी का माह

-रमजान के तेरह रोजे पूरे, 21 रोजे से चलेगा तीसरा अशरा

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जागरण संवाददाता, संत कबीर नगर:

रमजानुल मुबारक पूरी तरह से अल्लाह का महीना कहा गया है। यह महीना रहमते खुदाबंदी का वह मौसम है, जिसमें बेशुमार इंसानों की मगफिरत की जाती है। दूसरा अशरा जैसे-जैसे बीत रहा है तीसरे यानि अंतिम आशरा तैयारियां तेज हो रही है। 21 रोजे से रोजेदार दिन-राज इबादत में जुट जाते हैं और मस्जिदों में डेरा डाल देते हैं।

माह-ए-रमजान के तेरह रोजा पूरे हो गए हैं। पहला अशरा शुरू होने से मस्जिदों में रौनक बढ़ी हुई है। रोजेदार पूरी तन्मयता से अल्लाह तआला की इबादत में जुटे हैं। मौलाना रहमुद्दीन ने रमजान माह की अहमीयत बयान करते हुए कहा कि रम•ानुल मुबारक माह में हर घड़ी अ.जाबे जहन्नुम से आजादी का पयाम लेकर आती है। माह में कम हिम्मत मुसलमान को बंदगी का शौक नसीब होता है। यही वह माह है जिसमें दुआआं की कुबूलियत का दरवाजा हर घड़ी खुला रहता है। पाक माह में इबादत करने वालों पर अल्लाह तआला की कृपा बनती है, जो स्वयं नेक बंदे को इनाम देते हैं।

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चार बड़ी नेमतें

-हजरत कतादा रजि. नबी करीब सल. का इरशाद है। जिस इंसान को चार चीजें मिल गई उसे दुनिया आखिरत की तमाम नेमते मिल गई। इसमें जिक्र करने वाली जबान, शुक्र अदा करने वाला दिल, सब्र करने वाला जिस्म, दुनिया व आखिरत में मददगार बीबी। इस माह की अस्ल गरज यह है कि मुसलमान इसमें अपना ज्यादा से ज्यादा वक्त अल्लाह तआला की इबादत में लगाए।


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