141 अदद गोवंशीय पशुओं की खाल बरामद
संत कबीर नगर: दुधारा पुलिस ने रविवार की भोर में 141 अदद गोवंशीय पशुओं की खाल बरामद किया है। मौक
संत कबीर नगर:
दुधारा पुलिस ने रविवार की भोर में 141 अदद गोवंशीय पशुओं की खाल बरामद किया है। मौके का फायदा उठाकर तस्कर फरार होने में सफल रहा। पुलिस ने इस मामले में चार को चिन्हित करने का दावा करते हुए गोवध निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा कायम किया है।
दुधारा थानाध्यक्ष बसंत लाल ने बताया कि वह अपने हमराहियों के साथ गश्त पर थे इस दौरान सूचना मिली कि ग्राम चिउटना में बड़ी संख्या में गोवंशीय पशुओं की खान एकत्र करके रखी गई है। इसे वाहन से बिहार भेजे जाने की तैयारी है। इस पर उन्होंने अपने हमराहियों के साथ नाकेबंदी किया था। चहल-पहल देखकर उन्होंने इसराइल के घर के बगल में छापा मारा तो वहां से 141 अदद चमड़ा बरामद हुआ। बरामद चमड़ों में कुछ तो एक दिन पूर्व के ही लग रहे हैं। पुलिस ने चमड़ा तो बरामद कर लिया परंतु तस्कर मौके से भागने में सफल रहे। दुधारा पुलिस ने बताया कि तस्करों की पहचान कर ली गई है, जल्द ही उन्हें जेल भेज दिया जाएगा। फिलहाल गोवध निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा कायम करने के बाद कार्रवाई शुरू कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि किसी भी हालत में प्रतिबंधित पशुओं का वध नहीं होने पाएगा। इसमें संलिप्त व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
- कहां से आ रही खाल
मेंहदावल: दुधारा थाना क्षेत्र के ग्राम चिउटना में रविवार की भोर में भारी संख्या में गोवंशीय पशुओं की खाल बरामद हुई। इसके पूर्व भी पशुओं के चमड़े और पशुओं की बरामदगी के मामले सामने आते रहे हैं। इसे लेकर क्षेत्र में प्रतिबंधित पशुओं का वध किए जाने के मामले की पुष्टि हो रही है। भले ही पुलिस और प्रशासन अपने स्तर से रोक लगाने का दावा कर रहा है पर हकीकत कुछ और ही बयां कर रहे हैं। इसे लेकर पशुवध कारोबार करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की मांग उठने लगी है।
मामला पशु वध का हो तो जिले में बखिरा और दुधारा थाना क्षेत्र के कुछ चु¨नदा गांवों का नाम प्रमुख रुप से सामने आता है। दुधारा क्षेत्र में तो पूरी तरह से पशुवध कारोबार ने कई गांवों में कुटीर उद्योग का रुप ले लिया है। देर रात्रि प्रतिबंधित पशुओं को काटने के बाद उनकी खाल को कुछ नामचीन चमड़ा कारोबारियों के यहां एकत्र किया जाता है। इसके बाद इसे चौरीचौरा, कानपुर अथवा बिहार के अनेक स्थानों पर भेजा जाता है। खास बात यह है कि जब प्रतिबंधित पशुओं के वध के मामले को लेकर कड़ाई शुरु होती है तो वहीं अंदरखाने राजनीति की विसात बिछने लगती है जिसका खामियाजा जिम्मेदार को भुगतना पड़ता है। भले ही पुलिस और प्रशासन द्वारा गोवध पर पूर्ण विराम लगाने के लिए अपना दम भरा जा रहा है परंतु हकीकत में कार्य बदस्तूर जारी है। चमड़े और पशुओं की बरामदगी प्रतिबंधित पशुओं के वध का कार्य होने के प्रमाण बनकर सामने आ रहे हैं। इसे लेकर पुलिस प्रशासन से कठोर और नियोजित कार्रवाई करने की मांग उठने लगी है।