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गो पूजा से अभीष्ट फल की प्राप्ति संभव

संत कबीर नगर : बेलहर के लंगडावार में श्रीमद्भागवत कथा में शनिवार को भागवत ¨ककर धरणी धर ने कहा कि गा

By Edited By: Published: Sat, 25 Oct 2014 10:46 PM (IST)Updated: Sat, 25 Oct 2014 10:46 PM (IST)

संत कबीर नगर : बेलहर के लंगडावार में श्रीमद्भागवत कथा में शनिवार को भागवत ¨ककर धरणी धर ने कहा कि गाय हमारी पहचान व संस्कृति की धरोहर है। जो शक्ति ईश्वर में है वही गाय में विद्यमान है। गाय का अस्तित्व मानव जाति के हित में है।

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कथा व्यास ने कहा कि हमारे ऋषियों ने बहुत गंभीर और लंबे विचार के बाद पता लगाया कि गाय पूजनीय है। मां का एक मात्र उद्देश्य“बच्चे का हित करना यही भाव गाय माता में हैं। उन्होंने गो पालन व गो सेवा का

आह्वान किया।

इस अवसर पर राजेश ¨सह, सुभाष पांडेय, धीरेंद्र प्रताप ¨सह, बृजेंद्र ¨सह, विनोद ¨सह, रवींद्र ¨सह, जटाशंकर ¨सह, रणविजय ¨सह, राम ¨सह, धनुष कुमार आदि उपस्थित थे।

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देसी गाय के दूध में मिलती है अधिक पौष्टिकता

असाध्य रोगों से मुक्ति दिलाने वाली देशी गायों की तादाद अब दिनों दिन घटती जा रही है। स्वास्थ्य की ²ष्टि से देसी प्रजाति के गायों की महत्ता अधिक है। गाय की सेवा करके तैंतीस करोड़ देवताओं की पूजा एक साथ की जा सकती है। इन गायों के दूध की गुणवत्ता देसी गायों की तुलना में मेल नहीं खाती है। उक्त बातें शनिवार को औद्योगिक क्षेत्र में आयोजित कार्यक्रम में पं. रामकुमार मिश्रा शास्त्री ने कही। संस्था अध्यक्ष चक्रेश नारायण मिश्रा ने कहा कि देसी प्रजाति की गाय आध्यात्मिक, पौराणिक व कृषि आदि की ²ष्टि से अत्यंत उपयोगी है। प्राचीन काल से ही गौ पालन को महत्ता प्रदान की गई है। ¨हदू मान्यता के अनुसार गायों के रोम रोम में देवताओं का वास होता है। दूध, दही, घी, गो मूत्र आदि का प्रयोग आयुर्वेदिक में किया जाता है। कीड़ों को मारने की क्षमता रखने वाला गो-मूत्र, पेट दांत आदि की कीड़ा जनित रोगों की दवाओं में प्रयुक्त होता है। पशुपालन विभाग द्वारा भी संरक्षण न मिलने से देसी प्रजाति की गांए विलुप्त होने के कगार पर हैं। इस मौके पर संस्था के सदस्य उपस्थित रहे।

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