मनोज को आयी मिट्टी की याद
संत कबीर नगर :
आस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स सिडनी में जेलर पद पर तैनात मनोज प्रसाद ने पत्नी संग कबीर साहब के मजार और समाधि पर बुधवार को मत्था टेका। दंपती ने कबीर साहब की परिनिर्वाण स्थली के समुचित विकास न होने पर चिंता जताई।
आस्ट्रेलिया के न्यू साउथवेल्स सिडनी में जेलर पद पर तैनात मनोज प्रसाद भारतीय मूल के हैं। उ.प्र. के ग्राम चिरौली थाना मिलकीपुर फैजाबाद उनका पुश्तैनी मकान है, जिसमें आज भी उनके पट्टीदार रहते हैं। विदेशी संस्कृति में पले बढे़ होने के बावजूद अपनी संस्कृति और भाषा से जुड़ाव उनके व्यक्तित्व को और भी निखरता है। अपने परिवार के भारत से विदेश तक के संघर्षपूर्ण सफर को बताते हुए वह कहते हैं कि उनके दादा आजादी के पूर्व अंग्रेजों द्वारा विदेश में नौकरी दिये जाने के षड़यंत्र के तहत फिजी पहुंचे थे। वहां उन्हें पता चला कि अंग्रेज इन सभी भारतीय को मजदूरी कराने के लिए लाते हैं, तो उन्हें भी विवशता में वहीं रह कर मजदूरी करनी पड़ी। उन्नीसवीं सदी के पहले दशक में जाने के बाद दादा एक बार सन 1928 में अपने वतन आए और अपना परिवार साथ ले गए। उसके बाद 1960 में देहांत हो गया। ग्यारह वर्ष पूर्व तक परिवार फिजी में ही रहा। ग्यारह वर्ष पूर्व परिवार फिजी में लोकतांत्रिक व्यवस्था की बदहाली के कारण आस्ट्रेलिया आ गया और हमने यहां की नागरिकता लेकर न्यू साउथवेल्स सिडनी में जेलर पद पर तैनात पायी। हमारा घराना भारतवंशी कबीर पंथ से जुड़ा रहा है। पिछले वर्ष जून में कबीर साहब के दर्शन करने आया था। इस बार भी पत्नी सुनीता देवी के संग आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।