रचनाकारों ने लूटी वाहवाही
संत कबीर नगर :
जन साहित्यिक मंच की काव्य गोष्ठी रविवार को हीरालाल राम निवास स्नातकोत्तर महाविद्यालय खलीलाबाद में हुई। रचनाकारों ने अपनी रचना सुनाकर खूब वाहवाही लूटी।
काव्य गोष्ठी में ज्योति सिंह अहसास ने गिरते आंसू, मिटते सपने मन का हर कोना भीग रहा है हर ओर दुशासन खड़ा हुआ नारी का आंचल खींच रहा है, सुनाकर सजगता पर बल दिया। अलख निरंजन लाल पथिक ने गुजरी है जिंदगी यह ऐसे मुकाम से, नफरत सी हो गई रिश्तों के नाम से, सुनाकर टूट रहे रिश्तों की ओर इशारा किया। जेपी शुक्ला ने जो औरों पर सितम ढाकर बढ़ाता अपनी खुशहाली, तो वह इंसान कीमत का खुला ऐलान क्या जाने सुनाकर संदेश दिया। राजेंद्र प्रसाद सिंह हंस ने हाय ये क्या रीति हो गई पैसा ही आज प्रीति हो गई, सुनाकर पैसे के बढ़ रहे महत्व पर दु:ख जताया। वरिष्ठ रचनाकार आचार्य रामरक्षा भारती ने अखिल कला से अवतरे मां यशुदा के लाल, दुष्टासुर का नाशकर भारति किए निहाल सुनाकर दुष्टों के प्रति आक्रोश व्यक्त किया। कैलाश चंद्र दूबे चंचल ने क्या जरुरत आम को हथियार की आंख चंचल लड़ाई कीजिए। अवधेश पांडेय ने ओ दामिनी निर्भया, अभया निडर की तुम्ही साक्षात देवी सुनाकर बलात्कारियों की सजा पर खुशी जताया। सरदार हरिभजन सिंह ने नफरत को मोहब्बत का पैगाम सुनाता हूं मैं पिसी लाल मिर्ची पलकों से उठाता हूं सुनाकर नफरत से लड़ने के लिए प्रेरित किया। मु.आसिम खान ने हमारी सोच में संसार यह परिवार अपना है, हमें लगते है सब अपने सभी का दर्द अपना है। सुनाकर भाई चारे का पैगाम दिया। अध्यक्षता करते नरसिंह नारायण कमल ने राधा ने कितन किया नंद लाल से प्यार, सारा गोकुल जानता श्याम गले का हार सुनाकर प्रेम की विशालता का बयान किया। संचालन करते हुए राधेश्याम मिश्रा ने प्रचलन बढ़ा मशीन का जब से मानव बना खिलौना है, सुनाकर मशीनीकरण पर प्रकाश डाला।
इस मौके पर बलभद्र नाथ तिवारी, रामभरोस पांडेय, उदयभान भट्ट, रामरुप, देवेंद्र मौर्य आदि उपस्थित थे।
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