कभी कभी जानलेवा भी हो जाता है मलेरिया
चन्दौसी : वैसे तो मलेरिया रोग होने का कोई निश्चित समय नहीं हैं, लेकिन गर्मी व बारिश में इसके होने की
चन्दौसी : वैसे तो मलेरिया रोग होने का कोई निश्चित समय नहीं हैं, लेकिन गर्मी व बारिश में इसके होने की संभावना ज्यादा प्रबल हो जाती है। इस रोग को मामूल समझना कभी-कभी खतरनाक भी साबित हो जाता है। ज्यादा संक्रमण से मरीज की जान जाने का भी खतरा पैदा हो जाता है।
मलेरिया के मच्छर जलभराव से पनपते हैं। इसलिए इस बात का ध्यान रखा जाए कि जलभराव न हो। खासतौर पर बरसात के दिनों में तो जलभराव नहीं होने देना चाहिए। सम्भल जनपद में पिछले वर्ष प्लाज्मोडियम वाइवैक्स परजीवी के करीब चार सौ मरीज पाए गए थे। मलेरिया की रोकथाम कैसे हो पाएगा, क्योंकि स्वास्थ्य विभाग के पास इसके लिए स्टाफ नहीं है। मलेरिया के परजीवी का वाहक मादा मच्छर है। इसके काटने पर मलेरिया के परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं में प्रवेश कर फैल जाते हैं, जिससे रक्तहीनता के लक्षण उभरते हैं। इसके अलावा बुखार, सर्दी, जुकाम भी हो जाता है। गंभीर मामलों में मरीज बेहोशी में जा सकता है और मृत्यु भी हो सकती है। इस भयानक बीमारी का बचाव सम्भल में स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं है। न तो लोगों को जागरूक किया जाता है और न ही रोकथाम के कोई ठोस इंतजाम नहीं किए गए हैं।
मलेरिया से बचाव के तरीके
चन्दौसी: मलेरिया के फैलाव को रोकने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। मच्छरदानी और कीड़े भगाने वाली दवाएं मच्छर काटने से बचाती हैं। कीटनाशक दवा के छिड़काव तथा स्थिर जल की निकासी से भी मच्छरों पर नियंत्रण किया जा सकता है। मलेरिया में खानपान का भी विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है, इसलिए समय पर दवा खिलाएं, सबसे पहले तो मलेरिया के मरीज के शरीर में पानी की कमी न होने दें। संतुलित और पौष्टिक भोजन की अत्यंत आवश्यकता होती है। हल्का खाना खाने को दें 7 इस बात का विशेष ध्यान रखे कि उसका भोजन ज्यादा भारी न हो, मलेरिया के मरीज को आप खिचड़ी, दलिया, सूजी, चपाती, दाल, सूप, पनीर, हरी सब्जियां, फल आदि खाने को दें
ये हैं मलेरिया के लक्षण:
.सर्दी, जुकाम, सांस फूलना, चक्कर आना, उल्टी, कमजोरी, सरदर्द, शरीर में दर्द
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मलेरिया में चार किस्में पाई जाती हैं, जिसमें सबसे ज्यादा खतरनाक प्लाज्मोडियम फैल्सीपैरम होता जो हमारे जनपद में नहीं है। हमारे यहां प्लाज्मोडियम वाइवैक्स है। मरीज पर इसका भी काफी गहरा असर पड़ता है लेकिन यह ज्यादा भयानक नहीं होता है। परहेज रखने तथा 14 दिन लगातार दवा खाने से यह ठीक हो जाता है।
डॉ.हरवेंद्र ¨सह चाहल, चिकित्साधीक्षक, संयुक्त चिकित्सालय