नीर को तरसी सदानीरा
सम्भल। जनपद में सोत नदी होने के बाद भी यहां के लोगों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। सोत नदी में उद्योगों का केमिकल युक्त पानी और गंदे नाले आकर गिरने से उसका जल प्रदूषित हो गया है। अगर पशु व पक्षी उसे पी लें या उसमें स्नान कर लें तो बीमार होना तय है। साफ-सफाई की तरफ ध्यान न दिये जाने से इसका पर्यावरण पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। यही वजह है कि किसान सोत नदी को जीवित करने की मांग लगातार कर रहे हैं, लेकिन अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है। जिसके चलते सोत नदी का अस्तित्व खतरे में पड़ता जा रहा है।
सोत नदी काफी प्राचीन नदी है। यह अमरोहा जनपद से निकलकर मनौटा, फिरोजपुर से होते हुए चंदायन तक पहुंची है। परन्तु आज हालात यह है कि फिरोजपुर पुल के बाद से सोत नदी में आगे पानी नहीं देखने को मिलेगा। क्योंकि आज सोत नदी के दोनों तरफ से लोगों ने अवैध कब्जा करके खेती करना शुरू कर दी है। जिसके चलते जमीन उथली होती जा रही है। जबकि पहले सोत नदी मे पानी भरा रहता था। बरसात के दिनों में तो सोत नदी उफान मारकर बहती थी। जिसके चलते फसलों की भी सिंचाई का एक बहुत बड़ा साधन हुआ करती थी। लेकिन अब सोत नदी में बरसात के समय केवल पानी दिखता है बाकी दिनों में तो सूखी ही रहती है। स्थानीय प्रशासन को सोत नदी को दोबारा से जीवित करने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए। साथ ही सोत नदी में फैक्ट्री व नालों व नालियों से आने वाले पानी तथा मरे पशुओं व कूड़ा फेंकने से रोका जाना चाहिए। क्योंकि वर्तमान में सोत नदी में जो पानी है वह काला व लाल हो गया है। साथ ही हर समय बदबू उठती रहती है। ग्रामीण सोत नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए कई बार अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा चुके। इसके बाद भी सोत नदी के उद्धार की तरफ कोई सोचने वाला नहीं है।