सद्गुरु के आने से ही परमात्मा के दर्शन
चन्दौसी। सद्गुरु की कृपा से सत्संग का अवसर प्राप्त होता है। सद्गुरु जब जीवन में आता है तो हमें निरंकार परमात्मा के दर्शन हो जाते हैं। परमात्मा को जानकर जीवन के जो लम्हे जिये जाते हैं उन्हीं का मोल है वही वास्तविक जीवन है।
यह विचार सन्त निरंकारी सत्संग भवन पर आयोजित साप्ताहिक सत्संग में महेन्द्र पाल सिंह ने व्यक्त किए। कहा सद्गुरु और निराकार में कोई अन्तर नहीं होता। क्योंकि सद्गुरू के जीवन में आने से ही निराकार परमात्मा के दर्शन होते हैं। सद्गुरु साधारण इंसान नहीं होता उसकी तुलना किसी इंसान से नहीं की जा सकती। क्योंकि सद्गुरु अपने भक्तों की मदद के लिये हर समय, हर जगह तैयार रहता है चाहें वह संसार का कोई भी स्थान क्यों न हो।
आपने बताया कि यदि हमें सद्गुरु पर अटूट विश्वास है श्रद्धा है तो ये हमारे सारे काम पूरा करते हैं। और यदि हम श्रद्धा से अरदास करते हैं तो हमारे सारे लक्ष्य पूरे होते हैं जिसने भी सद्गुरू पर विश्वास किया उसने संसार की सारी ऊंचाइयों को छुआ है। आपने शबरी व राम का उदाहरण दिया। बस बात सद्गुरू पर विश्वास की है। आपने समझाया कि चरणामृत एक औषधि है जिसको श्रद्धा से यदि हम पीये तो सारे रोग दूर हो जाते हैं। ये चरणामृत युगों-युगों से सन्त महापुरूषों ने इसका सेवन किया और अपने जीवन का उद्धार किया है। संचालन हरिओम ने किया। सुषमा, रतनलाल, टीकाराम, मित्रपाल, कन्हैयालाल, किशन लाल, जमुना प्रसाद, इन्दु वाला, सरोज बजाज, आदि ने सहयोग किया।