सूचना न देने पर वेतन रोकने के आदेश
सहारनपुर : सूचना अधिकार कानून का किस कदर मजाक बनाया जा रहा है। इसकी एक बानगी विकास खंड बलियाखेडी में
सहारनपुर : सूचना अधिकार कानून का किस कदर मजाक बनाया जा रहा है। इसकी एक बानगी विकास खंड बलियाखेडी में देखने को मिली। यहां के एक सचिव ने सूचना के नाम पर 2200 रुपये जमा कराने के बावजूद एक साल में भी सूचना नहीं दी। मुख्य विकास अधिकारी ने सूचना न देने पर सचिव का माह जुलाई का वेतन रोकने के आदेश दिए हैं।
विकासखंड बलियाखेडी के गांव छिदबना निवासी जाहिद पुत्र सईद ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत छिदबना के ग्राम सचिव कुंवरपाल ¨सह से 7 अगस्त 2015 को आठ बिंदुओं पर सूचना मांगी थी। इसमें इनके द्वारा कैश बुक की छाया प्रति, सभी खातों की पासबुक की छायाप्रति, कार्य पूर्ति रजिस्टर की छाया प्रति, रसीद बुक (फार्म-7) जिसमें तालाबों के राजस्व का पैसा जमा किया गया। मनरेगा योजना के अंर्तगत कराए गए कार्यों का विवरण एवं मस्टरोल की छायाप्रति, निर्मित शौचालयों का विवरण व आय व्यय का विवरण तथा पूर्ति विभाग द्वारा जारी की गई राशन कार्डों की सूची मांगी गई थी। सूचना देने के लिए अपीलकर्ता को 22 सौ रुपये जमा कराने के लिए कहा गया था। इस पर अपीलकर्ता ने 15 सितंबर 2015 को ग्राम पंचायत निधि प्रथम के खाते में 22 सौ रुपये जमा कराकर सूचना दे दी थी। इसके बावजूद ग्राम सचिव ने जब सूचना नहीं दी तो जाहिद ने राज्य सूचना आयोग और मुख्य विकास अधिकारी के यहां पत्राचार किया।
मुख्य विकास अधिकारी दीपक मीणा ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला पंचायत राज अधिकारी को पत्र लिखकर निर्देशित किया कि दस माह बीत जाने पर भी कंवरपाल सैनी ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा सूचना न दिया जाना अत्यंत खेदजनक व सीधे-सीधे उच्चाधिकारियों के आदेशों की अवहेलना है। इस पर व्यक्तिगत ध्यान देकर सहायक विकास अधिकारी पंचायत एवं संबंधित ग्राम पंचायत अधिकारी का स्पष्टीकरण अपनी संस्तुति सहित प्रेषित करें। साथ ही विभागीय कार्रवाई सुनिश्चित करते हुए याचि को तत्काल सूचना उपलब्ध करा अवगत कराए। यदि सूचना नहीं दी जाती तो उसका जुलाई माह का वेतन आहरित न किया जाए। मुख्य विकास अधिकारी के इस पत्र के बावजूद 29 जुलाई तक भी जाहिद को मांगी गई सूचना नहीं दी गई। इसके उलट ग्राम सचिव छिदबना कंवरपाल सैनी ने 25 जून को जाहिद को 1500 रुपये का चेक वापस लौटा दिया।