चार को मिली मौत, मुझे रब ने बचाया
सहारनपुर : भाई, गुरुवार की रात 12 बजे मेरे समेत 14 लोगों को नुसा खंबनगन द्वीप की जेल से एंबुलेंस द्व
सहारनपुर : भाई, गुरुवार की रात 12 बजे मेरे समेत 14 लोगों को नुसा खंबनगन द्वीप की जेल से एंबुलेंस द्वारा ताबूत लेकर बंदरगाह शहर ले जाया गया। रात को 12.30 बजे हमें मौत की सजा के तौर पर गोली मारी जानी थी। तूफान की वजह से 15 मिनट का समय बढ़ा दिया। मेरे ही सामने चार लोगों को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया गया। पांचवे के रूप में मेरा नंबर आया तो यह सजा रोक दी गई। सजा रोकने की असल वजह मुझे मालूम नहीं, लेकिन इतना जरूर है कि मुझे रब ने बचा लिया।
इंडोनेशिया में मादक पदार्थ मामले में मौत की सजा पाने वाले भारतीय नागरिक गुरदीप ¨सह ने शुक्रवार को अपने सबसे छोटे भाई गुरप्रीत से फोन पर बातचीत में यह खुलासा किया। गुरप्रीत ने तीन बार इंडोनेशिया की नुसा खंबनगन द्वीप जेल में बंद अपने भाई गुरदीप से बात करने की कोशिश की, लेकिन नहीं हो सकी। चौथी बार जब उसने शुक्रवार को दोपहर 12.20 बजे फोन मिलाया तो उसकी बात हुई। बकौल गुरप्रीत, उसके भाई ने करीब 9 मिनट फोन पर बातचीत की और यह भी कहा कि वह उसकी पत्नी कुल¨वदर कौर, बेटी मनजीत कौर व बेटे पुखा ¨सह को भी पैतृक गांव शीतलपुर में बुला ले। गुरदीप ने अपने पिता देव ¨सह और मां हरविन्दर कौर से भी बातचीत की।
गुरप्रीत ने बताया कि उनके पास गुरुवार की रात बारह बजे भारतीय विदेश मंत्रालय से फोन आया था। फोन पर बताया गया कि उनके भाई की मौत की सजा स्थगित किए जाने का प्रयास किया जा रहा है। शुक्रवार की सुबह 10 बजे भारतीय विदेश मंत्रालय से फोन आया कि उनके भाई को मौत की नहीं दी गई है तो हमने भारत सरकार का शुक्रिया अदा किया। उम्मीद है कि जल्द ही रिहा होकर वापस लौटेगा।
गुरदीप सिंह के पिता देव ¨सह ने बताया कि उन्होंने खुशी में मिठाइयां बांटी। बताया कि शनिवार को उनकी पुत्रवधू कुल¨वदर कौर अपने बच्चों के साथ गांव आ जाएगी।
पहले भी टल चुकी है सजा
देव ¨सह ने बताया कि एक बार पहले भी गुरदीप की सजा टाली जा चुकी है। रब हर मामले में हमारा साथ दे रहा है। उन्होंने केन्द्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का शुक्रिया अदा किया है।
14 साल से नही देखा बेटे का चेहरा
देव ¨सह ने बताया कि उनके तीन बेटे हैं। सबसे बड़ा गुरदीप, उससे छोटा दलबीर व सबसे छोटा गुरप्रीत है। दलबीर पंजाब, जबकि गुरप्रीत देहरादून में रहता है। वह स्वयं अपनी पत्नी हरमिन्दर कौर के साथ गांव शीतलपुर में रहते हैं। गांव के बाहर उन्होंने अपना एक डेरा बनाया हुआ है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2000 में गुरदीप की पंजाब के नकोदर निवासी कुल¨वदर कौर से शादी हुई। 15 साल की उसकी बेटी मनजीत ने तो पिता का चेहरा देखा है, लेकिन उसके बेटे 13 वर्षीय पुखा ¨सह ने अपने पिता को आज तक नहीं देखा। मैंने भी पिछले 14 साल से अपने बेटे का चेहरा नही देखा है। बकौल देव ¨सह गुरदीप ¨सह समेत इंडोनेशिया, नाइजीरिया, जिम्बाब्वे और पाकिस्तान के विभिन्न 14 लोगों को 29 अगस्त 2004 में सुकर्णो हत्ता हवाई अड्डे से मादक पदार्थ तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। फरवरी 2005 में तांगेरांग अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी, जबकि अभियोजकों ने उसे 20 साल का कारावास देने का अनुरोध किया था। बानतेन हाईकोर्ट ने मई 2005 में मौत की सजा के खिलाफ उसकी अपील को खारिज कर दिया था। फिर उसने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिसने उसकी मौत की सजा बरकरार रखी। उन्होंने बताया कि अब वह केन्द्रीय विदेश मंत्रालय का सहयोग लेकर अपने बेटे के कानूनी प्रतिनिधि अफधाल मुहम्मद के द्वारा संबंधित कानून के तहत इंडोनेशिया के राष्ट्रपति के समक्ष क्षमादान की याचिका दायर करेंगे। वैसे भी भारतीय दूतावास ने इंडोनेशिया के विदेश मंत्रालय को एक 'नोट वर्बेल' भेजकर आग्रह किया कि मौत की सजा से पहले सभी कानूनी उपाय अपनाए जाने चाहिए।