'वे गोमांस की बातें करते, हम रोमांस की बातें करते..'
सहारनपुर : ऐतिहासिक मेला गुघाल में सोमवार रात आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में रचनाकारों ने कई ज्व
सहारनपुर : ऐतिहासिक मेला गुघाल में सोमवार रात आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में रचनाकारों ने कई ज्वलंत मुद्दों पर जमकर कटाक्ष किए। हास्य रचनाओं से खूब गुदगुदाया, वहीं देश प्रेम से ओतप्रोत कविताएं सुनाकर श्रोताओं की खूब दाद बटोरी। देर रात तक चले कार्यक्रम में श्रोताओं ने 'वंस मोर-वंस मोर' कर कवियों को मंच से हटने नहीं दिया। दिलों को छू गई रचनाओं पर तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा सभागार गूंजता रहा।
दैनिक जागरण, ग्लोकल यूनिवर्सिटी व नगर निगम के संयुक्त तत्वावधान में जनमंच सभागार में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का उद्घाटन मंडलायुक्त एमपी अग्रवाल, डीएम पवन कुमार, एसएसपी आरपीएस यादव, नगर मजिस्ट्रेट आरके गुप्ता, एसडीएम रामनिवास यादव व दैनिक जागरण-मेरठ के संपादकीय प्रभारी मनोज झा ने फीता काटकर व दीप प्रज्वलित कर किया। कवि सम्मेलन के मंच संचालन का दायित्व प्रख्यात हास्य कवि सुरेन्द्र शर्मा ने संभाला। अपने चुटीले अंदाज के लिए मशहूर श्रीशर्मा ने पहले ही दौर में अपनी पत्नी को निशाने पर ले लिया। बस फिर क्या था? पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा। सुदीप भोला ने अपनी पंक्तियां कुछ यूं कहीं-
'हर चुभन सहके महकते हैं
गुलाबों की तरह
मगर चुप हैं किताबों की तरह
वरना उड़ जाएंगे, जानते हैं सब
ये राज किताबों की तरह।'
'प्रतिभा आरक्षण की वेदी पर बलिदान हो गई।
गांधी बाबा तेरी खादी बदनाम हो गई।'
'एक विज्ञापन करोड़ों में छपा
बालश्रम कानून जिस पर लिखा
सो रहा लिपटा उसी अखबार में
दो दिन से उसने कुछ खाया नहीं
फिर भी उसने हाथ फैलाया नहीं'
अपने सधे अंदाज में मुमताज नसीम की रचनाएं भी श्रोताओं को खूब भाई।
'अपनी हद से गुजर नहीं सकती
तुझपे इलजाम भी धर नहीं सकती
प्यार तो मैं भी तुझसे करती हूं
पर मैं इजहार कर नहीं सकती।'
'क्या बताऊं कहां मेरा ठिकाना है
तेरी आंखों में घर बसाना है
जबसे तू ¨जदगी में आया है
तबसे दुश्मन मेरा जमाना है।'
हिन्द-पाक के रिश्ते पर एक नज्म कुछ यूं पढ़ी-
'ऐ अजीजों मुझे तुमसे शिकायत भी नहीं
और सच पूछो तो अब इसकी जरूरत भी नहीं
क्यों तुम्हें हमसे पहली सी मोहब्बत न रही
जन्नतें कश्मीर पर ये झगड़ा क्यों है?'
अपने व्यंग्य के मशहूर सूर्य कुमार पांडे ने रचनाओं से तीखे प्रहार कर डाले।
'वे लंबे बयान देते हैं, हम सारांश की बातें करते।
वे गोमांस की बातें करते, हम रोमांस की बातें करते।'
'दो दिन को करोड़पति यहां भिखारी होते हैं
बात-बात पर वे सबके आभारी होते हैं
राजनीति का ताश अलग ही खेला जाता है
दो जोकर बावन पत्तों पर भारी होते हैं।'
'कितना शरीफ शख्स है पत्नी पर फिदा है
और उस पर कमाल ये है अपनी पर फिदा है।'
अपनी धरती पर राजेन्द्र 'राजन' की रचनाओं को श्रोताओं की खूब दाद मिली।
'दूर से हाथ मत हिलाया कर
दिल का रिश्ता है तो निभाया कर
दोस्ती के लिए जरूरी है
मुझसे मिलने कभी तो आया कर।'
'मैं वो सब चुका दूं, जो जग से मिला है
जो तुमसे मिला है वो कैसे चुकाऊं
जो रिश्ता जमाने से, सब भूल जाऊं
जो रिश्ता है तुमसे वो कैसे भुलाऊं।'
वीररस के कवि डा. सौरभकांत शर्मा ने कविताओं से जोश भर दिया।
'झुकने दिया ही नहीं, भारती का भाल कभी
राष्ट्रसेवियों को तलवार बनी चूड़ियां
रानी अश्व पे सवार, दोनों हाथ तलवार
गोरों को तो काल की पुकार बनी चूड़ियां।'
अपनी अनूठी शैली के जाने वाले आशीष 'अनल' की कविता भी श्रोताओं को खूब पसंद आई।
'प्रश्न था कि वीरता के तीन पर्याय लिखो
यूं लगा कि बच्चे ने ही अभिज्ञान लिख दिया
पहला पर्याय लिखा साहस तो यूं लगा कि
जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान लिख दिया
दूजा पर्याय लिखा उसने पराक्रम को
यूं लगा कि प्रताप का वो स्वाभिमान लिख दिया
तीजा पर्याय जब उसे याद आया नहीं
उसने वहां पे सिर्फ ¨हदुस्तान लिख दिया।'
प्रख्यात कवियित्री डा. सीता सागर ने अपनी कविता कुछ यूं कही-
'प्यास को आंसुओं से बुझाती रही
सो गई चेतना को जगाती रही
तुम गए क्यों नहीं, खोने को कुछ ना रहा
खुद को ही ओढ़ती और बिछाती रही।'
'भंवर में तुम्हें दिया निकाल,
किया पलभर मुझे निहाल
दिया सांचे में अपने ढाल
नौलखा हार बना डाला,
बुरा वक्त थी मैं, तुमने त्योहार बना डाला।'
संचालन का दायित्व संभाल रहे हास्य कवि सुरेन्द्र शर्मा कवियों का उत्साहवर्धन करते रहे। लंबे समय से अपनी बारी का इंतजार हुए उनकी चुटीली रचनाओं को सुनने के लिए श्रोता सीटों पर जमे रहे। अपने ही अंदाज में उन्होंने एक तंज कसा-
सरकारों पर निशाना साधते हुए बोले-
सुविधाएं कौमों को नपुंसक बनाती हैं।
'मैं उनसे कहता हूं उन्हें दो रुपये किलो गेहूं-चावल देकर ना बनाओ नपुंसक।' बनाना है तो उन्हें इस काबिल बनाओ, दो नहीं वो दस रुपये किलो खरीद सकें।'
मियां-बीबी के किस्से को कुछ यूं बयां किया-
घर में हमेशा उदास होकर घुसो, नहीं तो घरवाली कहेगी मेरे जीते ही इसके हंसने की हिम्मत कैसे हुई?
ऊंची आवाज में बोले - मोदीजी बुलंदियों पर पहुंचना आसान होता है, लेकिन उस पर टिके रहना मुश्किल होता है। अपनी सोच और विजन को हमेशा बड़ा रखो। रामलीला शीर्षक से हास्य कविता व राधा और कान्हा शीर्षक से ¨चतनशील कविता पढ़कर श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी।
इससे पूर्व मंडलायुक्त, डीएम, एसएसपी, कवि सूर्य कुमार पांडेय, डा. सीता सागर, आशीष 'अनल', मुमताज नसीम, सुदीप भोला, सौरभकांत शर्मा, सुरेन्द्र शर्मा व राजेन्द्र 'राजन' का दैनिक जागरण परिवार की ओर से माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। मदर टेरेसा पैरामेडिकल व नर्सिग कालेज के चेयरमैन एसएस राणा ने भी अतिथियों का स्वागत किया। मेरठ से आए दैनिक जागरण के ब्रांड डिपार्टमेंट के वरुण वशिष्ठ, दैनिक जागरण-सहारनपुर के ब्यूरो चीफ संजीव जैन, प्रसार प्रभारी भूपेन्द्र ¨सह, विज्ञापन प्रभारी विनीत ¨सह, अमित अग्रवाल, प्रोग्रेसिव स्कूल सोसाइटी के संयोजक सुरेन्द्र चौहान, व्यापारी नेता दानिश आजम, आम आदमी पार्टी नेता योगेश दहिया, शीतल टंडन, आइआइए के चेयरमैन आरके धवन, अनूप खन्ना, सौरभ गुप्ता, नगर निगम से अमीम सिद्दीकी, जागरण परिवार से बृजमोहन मोंगा, हरिओम शर्मा, संजीव गुप्ता, मनोज मिश्रा, अजय सक्सेना, दीपेन्द्र कुमार, ज्ञानेश, मदन ¨सह, शशांक, शिवप्रताप ¨सह, राशिद, हारून नसीम, राजेश्वर शर्मा, मनोज शर्मा, बाबर, ज्योति, प्रवीण कुमार व अजीत कुमार आदि थे।
इनका रहा सहयोग
दैनिक जागरण, ग्लोकल यूनिवर्सिटी व नगर निगम के संयुक्त तत्वावधान में ऐतिहासिक मेला गुघाल में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन यादगार बन गया। कवि सम्मेलन में मदर टेरेसा पैरामेडिकल एवं नर्सिग कालेज, मिलेनियम कालेज, सहारनपुर इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज, दीपांशु कालेज, एचएसआर कालेज, द्रोणाचार्य, हीरो, सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी, गन्ना विभाग, संजय कर्णवाल, विधाय रविन्द्र मोल्हू, बसपा नेता सुमित ¨सघल, नवीन चौधरी, समाजसेवी मदनलाल अरोड़ा, सपा नगराध्यक्ष फैलानुर्रहमान, परशुराम सामाजिक संस्था के अध्यक्ष विनोद शर्मा, सहारनपुर विकास प्राधिकरण, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य योगेश दहिया का सहयोग रहा।
मदर टेरेसा की छात्राएं भी पहुंचीं
कवि सम्मेलन में मदर टेरेसा पैरामेडिकल एवं नर्सिग कालेज के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ छात्राओं ने भी श्रोता बनकर रचनाओं का आनंद लिया। देर रात तक चले आयोजन में कई कवियों ने आयोजन में छात्राओं की उपस्थिति को सराहा। रचनाओं पर छात्राओं ने जमकर तालियां भी बजाई।
इन्होंने कहा..
ऐतिहासिक मेला गुघाल में दैनिक जागरण व सहयोगियों की ओर से कवि सम्मेलन का यह आयोजन सराहनीय है। सांस्कृतिक कलाओं को बढ़ावा देने की दिशा में ऐसे प्रयासों को निरंतर बढ़ावा देना चाहिए। हमारा यह प्रयास रहेगा कि संस्कृति से जुड़ी विधाओं को प्रोत्साहन दिया जाए।
- एमपी अग्रवाल, मंडलायुक्त।
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साझा सांस्कृतिक विरासत हमेशा से हमारी पहचान रही है। कवि सम्मेलन में रचनाकारों ने विविध विषयों पर कविताएं सुनाकर आमजन का ध्यान कई समस्याओं की ओर खींचा है।
- पवन कुमार, जिलाधिकारी।
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दैनिक जागरण ने कवि सम्मेलन का आयोजन सामाजिक सरोकारों से जुड़े कार्यो में एक नई कड़ी जोड़ दी है। नए रचनाकारों को इस आयोजन से प्रोत्साहन मिलेगा। जागरण परिवार की यह अनूठी पहल अविस्मरीय रहेगी।
- आरपीएस यादव, एसएसपी।
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दैनिक जागरण के साथ ग्लोकल यूनिवर्सिटी भी सांस्कृतिक विरासत को संजोए रखने में सहभागी है। नई पीढ़ी में सांस्कृतिक सोच विकसित हो, और वे तकनीकी ज्ञान के साथ कला और संस्कृति के प्रति भी अपना ज्ञान बढ़ा सकें।
- पीएल रैना, कुलपति ग्लोकल यूनिवर्सिटी-मिर्जापुर पोल।
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दैनिक जागरण हमेशा से ही सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने में अग्रणी रहा है। बौद्धिक रूप से समाज में नई सोच व चेतना का संचार करने के लिए ही कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। आयोजन में श्रोताओं की भागीदारी उनकी संस्कृति के प्रति जागरूकता प्रदर्शित करती है।
- मनोज झा, संपादकीय प्रभारी, दैनिक जागरण-मेरठ।