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राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजे जाएंगे हकीमुद्दीन

नानौता (सहारनपुर) : केन्द्र सरकार की ओर से उत्तर प्रदेश के 27 शिक्षकों को राष्ट्रपति पुरस्कार से नवा

By Edited By: Published: Tue, 01 Sep 2015 10:58 PM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2015 10:58 PM (IST)
राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजे जाएंगे हकीमुद्दीन

नानौता (सहारनपुर) : केन्द्र सरकार की ओर से उत्तर प्रदेश के 27 शिक्षकों को राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजने के लिए चयनित किया गया है। इसमें नानौता निवासी प्रधानाघ्यापक हकीमुद्दीन का नाम शामिल होने पर न सिर्फ उनके परिवार में खुशी का माहौल है, बल्कि उनको बधाई देने वालो का तांता लगा हुआ है।

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केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से चयनित शिक्षकों की जारी सूची में पूरे जनपद से केवल टिकरोल गांव के पूर्व माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक नानौता निवासी हकीमुद्दीन का नाम शामिल है। इनको पुरस्कार स्वरूप 50 हजार रुपये की धनराशि व प्रशस्ति-पत्र और रजत पदक दिया जाएगा।। नानौता के छत्ता मोहल्ला निवासी 40 वर्षीय हकीमुद्दीन पुत्र मोहम्मद हमीद ने खुशी प्रकट करते हुए बताया कि हिन्दी व अंग्रेजी में एमए करने के बाद बीटीसी बीएड किया। 1 फरवरी, 1989 को नानौता ब्लॉक के ही भाबसी रायपुर गांव के जू. हा. में विज्ञान अध्यापक के रूप में नियुक्ति हुई थी। लगभग सात माह बाद 7 अगस्त, 1989 को टिकरोल गांव के पूर्व मा. विद्यालय में अध्यापक पद पर तबादला हुआ। इसके बाद इसी स्कूल में 7 जुलाई, 2005 को प्रधानाध्यापक पद पर प्रमोशन हुआ। बताया कि उनकी प्रारम्भिक शिक्षा क्षेत्र के ही तिलफरा ऐनाबाद गांव में हुई। वर्ष 1981 में उन्होंने 70 प्रतिशत अंक हासिल कर मौरा गांव के किसान इंटर कालेज में टॉप किया तथा वर्ष 1983 में क्षेत्र के ही शिमलाना गांव के एमपीएम कालेज मे बारहवीं की बोर्ड की परीक्षा 81 प्रतिशत अंक लेकर टॉप किया। बताया कि गत 4 जून, 2015 को उन्होंने राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए हुई परीक्षा लखनऊ में दी थी, जिसमें उन्हें चुन लिए जाने पर अपार खुशी का अनुभव हो रहा है। मामूली किसान परिवार में जन्मे हकीमुद्दीन ने बताया कि उनके माता-पिता अशिक्षित थे। इसके बाद भी उन्होंने बड़ी मेहनत से शिक्षा ग्रहण की। उनके बेटे शारिक बीए में पढ़ रहे हैं, जबकि बेटियां शमां परवीन व निशा दोनों ने एमए, बीएड कर लिया है। उनसे छोटे दो और भाई हैं जिनमें फय्याज कक्षा 8 और यूसुफ कक्षा 4 तक पढ़े हैं। यूसुफ ने बताया कि वर्ष 2008 में बेसिक शिक्षा अधिकारी ने दक्षता प्रमाण-पत्र दिया। इसके अलावा हिन्दू-मुस्लिम एकता मंच व सामाजिक तथा राजनैतिक संगठन भी पुरस्कृत कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि वो स्कूल की छुट्टी हो जाने के बाद भी लगभग दो घंटा तक एक्स्ट्रा क्लास लेकर पढ़ाते हैं। घर पर आकर भी वो मोहल्ले के बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाते हैं। स्कूल में उनके 460 बच्चे हैं। उनके स्कूल के बच्चे राज्य स्तर तक हाकी खेल चुके हैं। अपनी इस सफलता का श्रेय अल्लाह को देने के बाद अपने माता-पिता व बड़ी ताई मरहूम तथा गुरुजनों विशेषकर तेज ¨सह वर्मा को देते हैं।


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