ठेके की धनराशि जमा कराई नहीं, दे दी वसूली की छूट
सहारनपुर : नगर निगम के वार्षिक ठेकों के मामले में राजनैतिक हस्तक्षेप निगम को भारी पड़ने लगा है। ठेकेद
सहारनपुर : नगर निगम के वार्षिक ठेकों के मामले में राजनैतिक हस्तक्षेप निगम को भारी पड़ने लगा है। ठेकेदारों ने नियम के विरुद्ध न केवल वसूली आदेश प्राप्त कर लिए, बल्कि ठेके की धनराशि भी जमा नहीं करा रहे है।
नगर निगम की आय का प्रमुख जरिया वार्षिक ठेके, गृह व जलकर है। हाउस टैक्स आदि की वसूली प्रक्रिया में धांधली पहले ही जगजाहिर है अब वार्षिक ठेकों की धनराशि जमा नहीं होने के कारण निगम के समक्ष भारी वित्तीय संकट गहराने के आसार बन गए हैं। नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी धीरेन्द्र मोहन कटिहार का कहना है कि वर्ष 2014-15 के सापेक्ष में छोड़े गये वार्षिक ठेकों के अधिकतर ठेकेदारों ने वसूली के बावजूद धनराशि नगर निगम कोष में जमा नहीं कराई गई है। नगर आयुक्त डा. नीरज शुक्ला ने इसे गंभीरता से लेते हुए, जिन ठेकों की धनराशि जमा नहीं हुई है उन्हें अस्थाई तौर पर निलंबित कर दिया है। कटियार ने बताया कि ठेका रेत, बजरी, पार्किग शुल्क, साइकिल-स्कूटर पार्किग, जीपीओ रोड, ठेका पार्किग जुबली पार्क, ठेका विज्ञापन बोर्ड, गेट बैनर, थ्रीव्हीलर्स पार्किग, बस स्टैण्ड अंबाला रोड, ठेका भू-उपयोग अंबाला बस स्टैण्ड शामिल है। कटिहार ने कहा कि यदि ठेकेदार एक सप्ताह के भीतर वांछित धनराशि नगर निगम कोष में जमा नहीं कराते है तो ठेकों को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया जाएगा। इस बाबत एसएसपी को सूचित कर दिया गया है कि वह अपने स्तर से कार्रवाई करें।
उल्लेखनीय है कि पूर्व के वर्षो में कई ठेकेदार इसी प्रकार धनराशि जमा किये बिना वसूली आर्डर प्राप्त करते रहे हैं तथा बाद में वांछित धनराशि जमा नहीं कराई गई है। कई वर्ष पूर्व रेत बजरी व पशु मंडी के ठेके में ही निगम को करोड़ों का नुकसान हो चुका है। ऐसे में सवाल यह है कि निगम अधिकारी ठेका छोड़ने के बाद वसूली के लिए अधिकृत पत्र देने से पूर्व नियमानुसार वांछित धनराशि जमा क्यों नहीं कराते? निगम अधिकारियों की इस कार्रवाही से उनकी कार्यशैली पर सवालिया निशान लग रहे हैं।