..तो फिर धुंए से पटेगा शहर
सहारनपुर : गुरुवार को दीपावली पर भले ही सुप्रीमकोर्ट के आदेश के अनुपालन में प्रदूषण नियंत्रण विभाग न
सहारनपुर : गुरुवार को दीपावली पर भले ही सुप्रीमकोर्ट के आदेश के अनुपालन में प्रदूषण नियंत्रण विभाग नागरिकों से तेज आवाज के पटाखे उपयोग न करने की अपील कर रहा हो पर जिस तरह बाजार में पटाखों की खरीदारी हुई है, उससे कयास लगाए जा रहे हैं कि शहर में ही करोड़ों के पटाखे गुरुवार को जलेंगे। वैसे गली-मोहल्ले में अभी तक लाखों रूपये के पटाखे जल चुके है। बहरहाल, बात चाहे जो भी हो पर गुरुवार को दीपावली की रात शहर का आसमान आतिशबाजी से निकलने वाले धुएं से पटेगा और प्रदूषण बढ़ेगा। पिछले साल की तरह इस बार भी दीपावली की रात पटाखों की ध्वनि के कारण कान सन्न रहे गए और नसों पर भी प्रभाव पड़ा।
उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय के क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी राजीव कुमार के अनुसार आतिशबाजी न करने की कई संगठनों व अफसरों ने खूब अपील की, इसके बाद भी बाजार में पटाखों बड़ी संख्या में खरीदे गए, इस स्थिति को देखकर लगता है कि सहारनपुर में गुरूवार को प्रदूषण बढ़ेगा। वैसे ध्वनि प्रदूषण शहर में सामान्यता 50-55 डेसिबल रहता है।
पटाखों के धुएं से वातावरण में होंगे जहरीले तत्व
सहारनपुर : पिछले साल दीपावली पर की गयी आतिशबाजी से वायु प्रदूषित हो गया था। वातावरण में कई जहरीले तत्व समा गए थे। नाइट्रोजन, सल्फर डाई आक्साइड और फास्फोरस ने वातावरण में रेस्पाइरेबुल सस्पेक्टेड पर्टीकुलेट मैटर (पीएम टेन) घोल दिया था। वातावरण को सामान्य होने में तीन से चार दिन लगे थे। प्रदूषण नियंत्रण विभाग की माप में शोर का मानक सामान्य से दोगुना 110 डेसीबल पाया गया था। प्रदूषण विभाग के मुताबिक सल्फर, फास्फोरस व नाइट्रेट आदि से हानिकारक गैसें निकलती है। यह सामान्य दिनों में 10 से 15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होता है, जो दीपावली के दिनों बढ़कर 60 से 70 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच जाती है। पिछले साल दीपावली पर चन्द्रनगर में पटाखों के शोर का मानक 110 डेसीबल मिला जबकि यहां शोर का मानक सामान्यत: 45 से 55 डेसीबल तक होता है। अधिक शोर के कारण अनिंद्रा, हाइपरटेंशन, हार्ट की तकलीफ, चिड़चिड़ापन सहित करीब 20 तरह की बीमारियां होती हैं।