आत्महत्या कर चुके किसानों के यहां कैसे मनेगी दीपावली?
प्रशांत त्यागी, सहारनपुर : कर्ज के बोझ तलेदबे किसानों की दीपावली इस बार अंधेरे में ही मनेगी। क्षे
प्रशांत त्यागी, सहारनपुर :
कर्ज के बोझ तलेदबे किसानों की दीपावली इस बार अंधेरे में ही मनेगी। क्षेत्र में दो किसानों की मौत के बाद किसान परिवार जहां दु:ख से उबर नहीं पाए हैं। वहीं बकाया गन्ना भुगतान न होने से किसानों की दीपावली के दीपक अभी भी बुझे हुए हैं।
प्रदेश की चीनी मिलों के बकाया गन्ना भुगतान न किए जाने से इस बार किसानों की दीपावली फीकी मनेगी। छह महीने पहले क्षेत्र के अंबहेटा शेंखा गांव निवासी किसान विनय त्यागी पुत्र आनंद प्रकाश त्यागी ने चार लाख कर्ज के चलते कुएं में कूद आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद बाबूपुर नगली गांव निवासी किसान ने भी खुद को घर में बंद कर फांसी लगा आत्महत्या कर ली थी। क्षेत्र दो किसानों के आत्महत्या करने के बाद अब सवाल यह उठता है कि दीपावली का त्योहार इनके घरों में कैसे मनेगा? उन किसानों के बच्चों को आखिर कौन पटाखे और मिठाइयां खरीद कर देगा? क्योंकि प्रशासन और सरकार ने मुआवजा तो दूर आज तक भी इन परिवारों की सुध तक नहीं ली है। अगर सरकार ने समय रहते इन बेसहारा परिवारों की सुध नहीं ली तो वो दिन दिन दूर नही जब वेस्ट यूपी में भी विदर्भ जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।
..तो पांच वर्ष में 90 फीसदी किसान हुए कर्जदार
देवबंद : आंकड़ों पर गौर करें तो देवबंद तहसील के 95 फीसदी किसान प्रति वर्ष 55 से 60 हजार हेक्टेयर में गन्ने की खेती कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं। 5 वर्ष के अंदर इन किसान परिवारों में से 90 फीसदी किसान चीनी मिलों के बकाया गन्ना भुगतान न किए जाने और फसल का लागत मूल्य ने मिलने से सरकार के कर्ज की मार झेल रहे हैं।
इन्होंने कहा..
प्रदेश सरकार और चीनी मिल मालिकों की साठगांठ के चलते किसान आत्महत्या को मजबूर है। किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए सरकार को फौरी तौर पर कदम उठाना होगा।
- भगत सिंह वर्मा (किसान पंचायत, प्रभारी उत्तर प्रदेश)
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किसानों को कर्ज की स्थिति से उबारने के लिए सरकार को ठोस रणनीति बनानी होगी। फसल का लागत मूल्य देकर और उनके कर्जे माफ करने चाहिए।
श्यामवीर त्यागी (भारतीय किसान महासंघ)