Move to Jagran APP

मामू मौला बख्श : अपनी-अपनी हैं आस्थाएं

By Edited By: Published: Tue, 22 Apr 2014 10:59 PM (IST)Updated: Tue, 22 Apr 2014 10:59 PM (IST)
मामू मौला बख्श : अपनी-अपनी हैं आस्थाएं

गंगोह : मामू मौला बख्श की मजार परिसर में सदियों पुरानी परंपरा को जायरीन आज भी जिंदा रखे हुए हैं। पूरे वर्ष यह सिलसिला चलता रहता है। भारत विभिन्न परंपराओं का देश है। यहां हर नागरिक को अपनी आस्था के अनुसार धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करने की पूरी आजादी है। कुछ लोग अनेक परंपराओं को अंध विश्वास मानते हैं। कुछ लोग ऐसी परंपराओं में पूरा यकीन करते हैं। हजरत कुतबे आलम उर्स के दौरान मामू मौला बख्श की मजार पर भी अनेकों प्रदेशों के श्रद्धालु भारी संख्या में पहुंचते हैं और मन्नतें मांगते हैं। मजार परिसर में एक परंपरा सदियों से चली आ रही है। परिसर में स्थित हजरत शेख सादिक की दरगाह के पास मौलश्री का पेड़ खड़ा है।

loksabha election banner

मान्यता है कि जो लोग दरगाह में अपनी मन्नतें पूरी करने की फरियाद करते हैं वह इस पेड़ पर एक लाल धागा बांध जाते हैं और जब भी उनकी मुराद पुरी हो जाती है वह उसे यहां आकर खोल देते हैं। लिखित रुप से अर्जी भी बहुत से लोग लगा जाते हैं। पेड़ के नीचे लगातार एक दिया जलता रहता है। यहां आने वाले जायरीन इस पेड़ के नीचे लगातार जलने वाले इस चिराग से तेल भी ले जाते हैं। कहते हैं कि इस तेल से लोगों को दर्द में आराम मिलता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.