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बैंकों में उमड़ रही भीड़, नहीं मिल रहा कैश

रामपुर : नोटबंदी के बाद से बैंकों में लग रही कतारों का सिलसिला शनिवार को भी जारी रहा। इस दौरान रुपये

By Edited By: Published: Sat, 03 Dec 2016 09:54 PM (IST)Updated: Sat, 03 Dec 2016 09:54 PM (IST)

रामपुर : नोटबंदी के बाद से बैंकों में लग रही कतारों का सिलसिला शनिवार को भी जारी रहा। इस दौरान रुपये जमा करने से लेकर निकालने तक के लिए लोगों की लाइनें लगी रहीं। घंटों लाइन में लगने के बाद भी कुछ ही लोगों को रुपये मिल सके। इस दौरान तमाम बैंकों में कैश खत्म हो गया। इसको लेकर हंगामा भी हुआ। वहीं, शहर के अधिकतर एटीएम बंद रहे। इसके चलते लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर की मध्यरात्रि से एक हजार और पांच सौ रुपये के नोट बंद करने का ऐलान कर दिया। इसके बाद से ही लोग लगातार बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं। रुपये जमा करने से लेकर निकालने तक का सिलसिला चल रहा है, लेकिन बैंकों में नकदी की कमी बनी हुई है। इसके चलते लोगों को आवश्यकता के अनुरूप रुपये नहीं मिल पा रहे हैं। शनिवार को भी बैंकों का यही हाल रहा। भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक, एचडीएफसी बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, कार्पाेरेशन बैंक, इलाहाबाद बैंक आदि बैंकों में ग्राहकों की भीड़ उमड़ गई। रुपये जमा करने से लेकर निकालने तक के लिए कतारें लग गईं। इस बीच घंटों कतारों में लगने के बाद भी महज कुछ ही लोगों को रुपये मिल सके। कई बैंकों में कैश खत्म हो गया, जिसके चलते लोगों को कैश नहीं मिल सका। शहर के एटीएम की स्थिति में भी कोई सुधार नहीं है। ज्यादातर एटीएम में ताले लटके रहे। लोग पूरे दिन कैश वाले एटीएम को ढूंढते नजर आए। कुछ एटीएम से रुपये निकल रहे थे, जिसके चलते एटीएम के बाहर लंबी लंबी कतारें लगीं थीं। इससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।

नोटबंदी से आधा हो गया स्टेशनरी का कारोबार

कुछ दुकानों पर पेटीएम से ले रहे भुगतान

फोटो संख्या : 21, 22

जागरण संवाददाता, रामपुर : नोटबंदी के बाद से स्टेशनरी का कारोबार भी बुरी तरह प्रभावित है। पहले के मुकाबले अब बिक्री आधी हो गई है। इससे दुकानदारों का मुनाफा भी कम हो गया है। दुकानों पर काम करने वालों को भी सैलरी देना मुश्किल हो गया है। इस बीच कई दुकानदार ऐसे भी हैं, जिन्होंने नोटबंदी को देखते हुए पेटीएम जैसे विकल्पों का प्रयोग करना शुरू कर दिया।

एक हजार और पांच सौ के पुराने करेंसी नोट बंद होने के बाद से हर तबके के लोग परेशान हैं। किसान, मजदूर से लेकर व्यापारी तक बुरी तरह प्रभावित हैं। कारोबार घट गया है। लगभग हर तरह के कारोबार पर विपरीत असर दिखाई दे रहा है। फिर चाहें वह कपड़े का कारोबार हो या फिर राशन की दुकान। यहां तक कि स्टेशनरी का कारोबार भी आधा हो गया है। पहले जहां दुकानों पर औसतन प्रतिदिन बीस से तीस हजार रुपये की बिक्री होती थी, वहां आज बिक्री घटकर आठ से दस हजार रह गई है। छोटे छोटे दुकानदारों की हालत तो और भी खराब है। दरअसल, बैंक में कैश नहीं है और एटीएम खाली पड़े हैं। ऐसे में लोगों की जेब भी खाली हो गई हैं, जिससे लोग जरूरी सामान को तवज्जो दे रहे हैं। खर्चे सीमित कर जीविका चलाने की कोशिश कर रहे हैं। लिहाजा, स्टेशनरी के खरीदार कम हो गए। दुकानदारों की मानें तो उनकी दुकानों पर काम करने वालों को सैलरी देना भी मुश्किल हो गया है। वजह साफ है कि बड़े नोट ले नहीं रहे हैं और छोटे नोट मिल नहीं रहे हैं। इस सबके बीच कुछ स्टेशनरी के कुछ दुकानदार ऐसे भी हैं, जिन्होंने पेटीएम जैसे विकल्पों को अपना लिया है, ताकि कारोबार चलता रहे। हालांकि, रामपुर में ऐसे ग्राहकों की काफी कमी है, जिसके चलते कारोबार धीमा पड़ गया है।

पहले स्टेशनरी का अच्छा कारोबार था। हर दिन बीस से तीस हजार रुपये की बिक्री हो जाती थी, लेकिन नोटबंदी के बाद से यह कारोबार घटकर आठ से दस हजार रुपये रह गया है। घटते कारोबार को देख पेटीएम से भी भुगतान की सुविधा दी, लेकिन पेटीएम से भुगतान करने वाले चार, छह ग्राहक ही आए हैं। कारोबार घटने से दिक्कतें तो आ ही रही हैं। अब सरकार को व्यवस्था सुधारने पर ध्यान देना चाहिए।

आफताब आलम, हिन्दुस्तान बुक डिपो, सिविल लाइंस रामपुर।

नोटबंदी से स्टेशनरी का कारोबार बुरी तरह प्रभावित है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि लोगों ने अपने रुपये तो बैंकों में जमा करा दिए, लेकिन उन्हें बैंक से रुपये नहीं मिल रहे। ऐसे में लोगों के पास कुछ रुपये हैं, तो वह जरूरी चीजों को तरजीह दे रहे हैं, जिस कारण कारोबार कम हो गया है। इससे काफी दिक्कतें हो रही हैं। आमदनी भी कम हो गई है। इस समस्या दूर होनी चाहिए।

विचित्र शर्मा, तिलक पुस्तक सदन, सैदनगर।


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