आरएसएस के अपने हैं शाही इमाम : आजम
रामपुर । नगर विकास मंत्री आजम खां ने कहा कि शाही इमाम के बेटे ने ¨हदू लड़की से शादी कर ली, लेकिन लव
रामपुर । नगर विकास मंत्री आजम खां ने कहा कि शाही इमाम के बेटे ने ¨हदू लड़की से शादी कर ली, लेकिन लव जिहाद का राग अलापने वाले आरएसएस, भाजपा और विश्व ¨हदू परिषद उनके खिलाफ कुछ नहीं बोल रहे हैं। दरअसल शाही इमाम आरएसएस के अपने हैं।
कैबिनेट मंत्री ने शुक्रवार की शाम अपने आवास पर मीडिया से बात की। इस दौरान शाही इमाम और भाजपा नेताओं पर निशाना साधा। कहा कि शाही इमाम के बेटे मस्जिदे मुगलिया के नायब इमाम हैं। आने वाले वक्त में वह शाही इमाम बनेंगे। उनका इश्क, मोहब्बत, प्यार एक हिन्दू लड़की से हुआ और थाना कोतवाली तक की नौबत आई। अब हमारे होने वाले शाही इमाम के घर में वही मोहतरमा है, लेकिन हैरत इस बात की है कि किसी ने भी लव जिहाद का नाम नहीं लिया। उनके लिए आरएसएस चुप है, बीजेपी चुप है, बजरंग दल चुप है, विश्व हिन्दू परिषद चुप है और जितने इस तरह के सामाजिक संगठन हैं वो सब चुप हैं। यही काम किसी और ने किया होता, तो लवजिहाद के नाम पर न जाने क्या क्या हो गया होता। लेकिन यह सब उनके ही परिवार के सदस्य ने किया है, उनके अपने ने किया है। भाजपा और आरएसएस को फायदा पहुंचाने वाले ने किया। शाइन इण्डिया की बस में बैठकर बीजेपी के लिए वोट मांगने वाले के बेटे ने किया है, इसलिए इस शादी पर कोई लव जिहाद की बात सुनने को नहीं मिली। सभी ने स्वीकार कर लिया। अच्छी बात है, जिस तरह आरएसएस, विश्व हिन्दू परिषद, शिवसेना ने नायब शाही इमाम की शादी को मं•ाूर कर लिया, उसी तरह अगर और भी होती हैं तो उसको भी मं•ाूर करना चाहिए।
आजम खां ने कहा कि संसद में गृहमंत्री द्वारा धर्मनिरपेक्षता को लेकर दिए गए बयान पर कहा कि भारत जैसे देश का गृहमंत्री इतना अनजान और इतना नादान हो और सेक्युलरिज्म का मतलब न जानता हो तो ये देश की बड़ी बदनसीबी है और इस बात की अलामत है कि लोग संविधान को नहीं मानते हैं। वह इसे खत्म करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि फिल्म अभिनेता आमिर खान के एतराज को लेकर जो मुद्दा बनाया जा रहा है वह एतराज आमिर खान का नहीं है, उनकी पत्नी किरन का है, जो ¨हदू है। उसने हिन्दुस्तान में न सिर्फ अपने लिए, बल्कि अपने बच्चो की जान, उनकी आबरू और उनके मुस्तकबिल का खतरा महसूस किया है। उस बेटी ने चाहा है कि वह हिन्दुस्तान छोड़ दे और किसी दूसरे देश में चली जाए। ये अलामत बहुत ज्यादा गंभीर और संगीन है। मंत्री ने कहा राज्यपाल पर निशाना साधते हुए कहा कि जो गवर्नर यह कहते हों कि बूढ़ों को जीने का हक नहीं है, उन्हें पेंशन कहां से दी जाए, पहले साल दो साल में रिटायरमेंट के बाद मर जाते थे अब दसियों साल नहीं मरते। उन गवर्नर साहब ने अपनी उम्र नहीं देखी कि उनकी उम्र क्या है, वह उप्र के लिए क्या हैं, देश के लिए क्या हैं, बुर्जुगी से उनकी फायदा है या उनकी बुर्जुगी बोझ है। वह यह तय करें। उन्होंने कहा कि इस बार संविधान न मानने वालों ने संविधान दिवस मनाया है और इस तरह देशवासियों को धोखा देने की कोशिश की है। पहले ही दिन संविधान पर कुल्हाड़ा मार दिया। सैक्यूलरिज्म शब्द को हटाने की बात न सिर्फ कह दी, बल्कि देश की सबसे बड़ी पंचायत में कमजोरों, उपेक्षितों, दलितों पिछड़ों के लिए जो बैर थी, वो जाहिर कर दी।