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तीन साल से मानदेय का इंतजार

By Edited By: Published: Wed, 03 Sep 2014 01:20 AM (IST)Updated: Wed, 03 Sep 2014 01:20 AM (IST)
तीन साल से मानदेय का इंतजार

रामपुर । मदरसा आधुनिकीकरण योजना में समय से बजट नहीं मिल पा रहा है। मदरसा अनुदेशक तीन साल से मानदेय के इंतजार में हैं। किसी को छह माह का मानदेय नहीं मिला तो किसी को साल भर का नहीं मिला है। जनपद में डेढ़ सौ मदरसे हैं। इनमें बच्चों को दीनी तालीम दी जा रही है, लेकिन मदरसों में दीनी तालीम पाने वाले छात्र-छात्राएं दुनियावी तालीम में पीछे रह जाते हैं। ऐसे छात्र-छात्राओं को दुनियावी तालीम देने के लिए केन्द्र सरकार मदरसा आधुनिकरण योजना चला रही है। इसका मकसद मदरसों के छात्रों को दुनियावी तालीम देना है। आधुनिकरण योजना में जनपद के 72 मदरसे हैं, जिनमें 270 अनुदेशक कार्य कर रहे हैं। योजना के तहत मदरसों में अनुदेशक रखे हैं, जिनमें हिंदी, गणित, विज्ञान और सामाजिक विषय की शिक्षा दी जाती है। इसके बदले अनुदेशकों को मानदेय दिया जाता है। इंटर योग्यता वाले अनुदेशकों को तीन हजार, स्नातक अनुदेशकों को छह हजार और परास्नातक-बीएड अनुदेशकों को 12 हजार रुपये मानदेय दिया जाता है, लेकिन इन्हें मानदेय समय पर नहीं मिल पाता। कभी तीन माह का तो कभी छह माह का दिया जाता है। तीन साल से यह व्यवस्था भी बिगड़ रही है। मदरसे के अनुदेशकों की स्थिति हौचपौच हो गई है। किसी को वर्ष 2011 का मानदेय नहीं मिला है तो किसी को 2012 का नहीं मिला है। केन्द्र से वर्ष बार समस्त मदरसा अनुदेशकों का पैसा एक साथ नहीं मिल पा रहा है। इससे अनुदेशक परेशान हैं। वे कई बार धरना-प्रदर्शन कर केन्द्र सरकार को ज्ञापन भेज चुके हैं। साथ ही वे स्थाई किए जाने की मांग भी कर रहे हैं। इस वित्तीय वर्ष में भी सरकार से कोई बजट नहीं मिल सका है।

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बजट मिलने का इंतजार

जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी आरपी सिंह का कहना है कि जिला स्तर पर किसी मदरसे का भुगतान पेंडिंग नहीं है। विभाग को जो बजट मिलता है उसे जारी कर दिया जाता है। बजट मिलने का इंतजार किया जा रहा है।

शफी अहमद


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