एक भवन में चल रहे छह स्कूल
शफी अहमद, रामपुर । सर्वशिक्षा अभियान के धन से गांव के विद्यालय भले ही चमक रहे हों, लेकिन शहर के विद्यालय खंडहर बन गए हैं। किसी की छत नहीं है तो किसी की दीवार गिर चुकी है। हालत यह है कि एक एक भवन में कई कई स्कूल चल रहे हैं। किले के स्कूल भवन में तो आसपास के छह स्कूल संचालित हैं।
बेसिक शिक्षा को लेकर केंद्र और प्रदेश दोनों सरकारें गंभीर हैं। सुधार के लिए कोशिशें जारी हैं। जहां प्रदेश सरकार शिक्षक और छात्रों को कई तरह की सुविधाएं दे रही है, वहीं केंद्र सरकार भी काफी बजट दे रही है। इससे गांव के स्कूल भवन बन रहे हैं, लेकिन शहर में बेसिक शिक्षा की तस्वीर बेहद खराब है। कमरे में स्कूल, बरामदे में स्कूल और रास्ते में भी स्कूल चल रहा है। ऐसा ही हाल है शहर में बेसिक शिक्षा का। नगर क्षेत्र में 115 स्कूल हैं, जिनमें 95 प्राइमरी और 20 जूनियर हाई स्कूल हैं। इनमें से 42 स्कूलों के ही सरकारी भवन हैं, जिनमें 60 स्कूल चल रहे हैं। प्राथमिक विद्यालय किला के भवन में छह स्कूल चल रहे हैं। स्कूलों के भवन गिरते रहे और यहां स्कूलों को शिफ्ट किया जाता रहा। किला स्कूल में कटरा, पोस्ट आफिस, मकबरा, दोमहला रोड और सड़क खास विद्यालय भी चल रहे हैं। इसलिए एक स्कूल एक कमरे में चल रहा है। बरामदे में भी स्कूल और रास्ते में भी स्कूल चल रहा है। एक ही कमरे में कक्षा एक से लेकर पांच तक के क्लास लगाए जाते हैं। घोसियान सराए गेट के स्कूल भवन में भी पांच स्कूल चल रहे हैं।
विभाग करीब चालीस साल से 18 किराए के भवनों में स्कूल चला रहा है। इनका किराया भी बेहद कम है। दस रुपये से लेकर डेढ़ सौ रुपये महीना तक के किराए पर भवन हैं। विभाग ने एक बार भी किराया नहीं बढ़ाया। इसलिए भवन स्वामी भवन की मरम्मत नहीं कराते और खाली कराना चाहते हैं। इसलिए कभी दीवार गिर जाती है तो कभी छत गिर जाती है। सभी 18 भवन जर्जर हालत में हैं। चाह खजान खां, नालापार, बिलासपुर गेट, तीतर वाली पाखड़, बारादरी महमूद खां, चाह मोटे कल्लन, ठोठर बालिका, घेर सैफुद्दीन खां, घेर नज्जू खां आदि विद्यालय जर्जर हैं। शहर क्षेत्र में जगह नहीं मिलने के कारण स्कूलों के भवन नहीं बन सके हैं। सर्वशिक्षा अभियान का पैसा आता है, जो शहर क्षेत्र में खर्च नहीं हो पाता। इसलिए शहर के स्कूलों की हालत दिनोंदिन खस्ता होती जा रही है। शहर के स्कूल तो खंडहर हैं ही, शिक्षकों की भी कमी है। 115 स्कूलों में 127 शिक्षक ही तैनात हैं। बारह स्कूलों में ही दो-दो शिक्षक हैं, बाकी स्कूलों में एक ही एक शिक्षक है। ऐसे में बेसिक शिक्षा की गुणवत्ता को अच्छी तरह समझा जा सकता है। ऐसे में बच्चों को किसी लायक बनाने के बजाए उनके भविष्य से खिलवाड़ ही कहा जाएगा। स्वार के भी कुछ स्कूलों की स्थिति बदतर है। रखरखाव के अभाव में उन्हें कूड़ा-करकट ने घेर लिया है। स्कूलों में गंदगी पसरी रहती है, जिसकी परवाह न शिक्षकों को है और न ही सफाई कर्मचारियों को है। मुहल्ला अगलगा और वार्ड चार का स्कूल भी गंदगी से घिरा है, जहां दूर तक पढ़ाई का माहौल नजर नहीं आता। मधुपुरी और इमरतपुर के स्कूल भी बदहाल हैं।
दशकों में बने चार स्कूल
रामपुर। शहर क्षेत्र में स्कूल बनाने के लिए दशकों से जगह नहीं मिल रही है। काफी प्रयास के बाद पांच साल पहले चार स्कूलों की जगह मिल सकी थी, जहां स्कूल भवन बनवा दिए। इनमें बगीचा ऐमना, पुरानी ईदगाह, लाल मस्जिद, और मड़ैयान नादरबाग में स्कूल भवन बनवाए गए थे।
शहर क्षेत्र में स्कूलों भवनों की स्थिति बेहतर नहीं है। किराए के भवनों में चल रहे स्कूल भवनों की हालत जर्जर है। विभाग स्कूल भवन बनाना चाहता है, लेकिन जगह नहीं मिलती। जगह का प्रयास किया जा रहा है। यदि शहर में जगह मिलती है तो नए भवन बनवाए जा सकते हैं।
एसके तिवारी
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी