सिसकियां, खामोशी और सन्नाटे का हो गया बसेरा
संवाद सूत्र ऊंचाहार (रायबरेली) : क्षेत्र के इटौरा बुजुर्ग गांव के मजरे भूसई पांडेय का पुरवा का वह
संवाद सूत्र ऊंचाहार (रायबरेली) : क्षेत्र के इटौरा बुजुर्ग गांव के मजरे भूसई पांडेय का पुरवा का वह घर जहां दो दिन पहले तक लोगों की भीड़ लगती थी। खुशियां हिलोरे मार रही थीं, वहां अब खामोशी का आलम है। इन सबके बीच घर के लोगों की सिसकियां सन्नाटे को तोड़ रही हैं।
यह वह घर है जहां रोहित शुक्ला के अनुज देवेश की ससुराल है। यहीं पर रोहित भवन का निर्माण करवा रहे थे और आगामी पंचायत चुनाव में प्रधानी का चुनाव लड़ने की योजना गांव के लोगों से मिलकर बनाते थे। गांव की मौजूदा प्रधान रामश्री के बेटे राजा यादव से इसी बात को लेकर रंजिश हुई तथा सोमवार की शाम एक साथ पांच लोगों का नरसंहार कर दिया गया। अब घर में बूढ़े नाना शिवमूर्ति तिवारी और उनकी वृद्ध पत्नी निशा देवी अपनी बेबसी को नियति मानकर धुंधली आंखों से आज भी रोहित का इंतजार कर रही हैं। घर के बाहर एक छप्पर के नीचे बैठे वृद्ध दंपती से गांव का कोई हालचाल भी पूछने नहीं आ रहा है। अपनी लाडली पोती सुभद्रा को अपने पास रखना चाहती थी, इसीलिए उन्होंने उसके पति को यहां 14 बीघे जमीन देने का वादा किया था और रहने के लिए घर का निर्माण हो रहा था। उधर बरदहा गांव जहां पांच युवकों को मारा गया है। वहां भी गांव में मरघट जैसा सन्नाटा पसरा है। गांव में इक्का दुक्का महिलाएं सामान्य कामकाज करती नजर आती हैं। गांव के आसपास केवल पुलिस के जवान धूप और गर्मी से बचने के लिए इधर-उधर पेड़ों के छांव मे बैठे नजर आते हैं। अप्टा गांव में प्रधान रामश्री के दरवाजे पर भी सन्नाटा है। घर में कोई पुरुष नहीं है, केवल महिलाएं हैं जो अपने घर के लोगों को निर्दोष बता रही हैं। गांव की गलियां सूनी हैं तो गांव के लोग दहशत में हैं। गांव में किसी से बात करो तो कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। हर कोई घटना के बावत बात करने से बचता है। घटनास्थल पर अभी भी जली हुई सफारी जीप और बिखरा हुआ खून पड़ा है।
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ठहर सी गई ¨जदगी, बच्चों में भी खौफ
पांच लोगों की मौत का गवाह बना ऊंचाहार का अप्टा और बरगदहा सहमा हुआ है। लोगों की दिनचर्या रुकी है, जैसे समय ठहर सा गया हो। लोग केवल यही कहते हैं ऐसा नरसंहार फिर न हो। अप्टा गांव के नवयुवक प्रकाश कुमार कहते हैं कि शाम को वह अपने घर में थे। शोर गुल सुना तो भागकर मौके पर पहुंचे। वहां आग से गाड़ी जल रही थी और लाशें इधर-उधर बिखरी पड़ी थीं। वह मंजर याद करके रूह कांप जाती है। इसी गांव के धीरज कुमार बताते हैं कि रोहित शुक्ला और प्रधान के बीच कोई बड़ी रंजिश नहीं थी, इसलिए ऐसी घटना के बारे में कभी सोचा नहीं गया था। जो हुआ उसके बाद गांव के लोग बाहर निकलने से डरते हैं। शाम होते ही गांव के हर घर का दरवाजा बंद हो जाता है। इसी गांव के आकाश कुमार का कहना है कि उसके गांव में कभी एक व्यक्ति की हत्या नहीं हुई थी। अब पांच जान एक साथ चली गई हैं, जिस तरह से घटना हुई है, उसकी कल्पना भी नहीं की गयी थी। गांव का बच्चा-बच्चा डरा हुआ है।
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पहले दुर्घटना साबित करने की थी योजना
क्षेत्र के बरगदहा के पास हुए नरसंहार के बाद जब पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे तो प्रारम्भ में यही बताया गया कि यह लोग फायर करके भाग रहे थे और दुर्घटना का शिकार हो गए। घटनास्थल पर मौजूद पुलिस अधिकारी तर्क दे रहे थे कि सफारी जीप अनियंत्रित होकर बिजली के पोल से टकराई और उसमें बिजली से आग लग गई, जबकि परिस्थितियां दूसरी ही हकीकत बयान कर रही थी। वहीं रात में रोहित शुक्ल के भाई देवेश शुक्ल को कुछ समय के लिए पुलिस ने अपने कब्जे में लिया था, लेकिन इस बीच मामला कांग्रेस के राज्य सभा सदस्य प्रमोद तिवारी तक पहुंच गया तथा उन्होंने प्रदेश सरकार के उच्च अधिकारियों से इस मामले में बात की। उसके बाद पुलिस हकीकत पर आ गई और मुकदमा दर्ज हुआ।
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मृतकों पर सवाल, हकीकत जुदा
सामूहिक नरसंहार का शिकार हुए पांचों लोगों को सत्ता के एक मंत्री अपराधी बता रहे हैं। उनके बयान के बाद जब हकीकत की पड़ताल की गई तो पता चला कि एक के अलावा किसी पर मारपीट तक का मुकदमा नहीं दर्ज है।
प्रतापगढ़ जनपद के संग्रामगढ़ थाना क्षेत्र के देवरा गांव निवासी रोहित शुक्ला पर संग्रामगढ़ थाने में कुछ सामान्य मुकदमे दर्ज हैं। इसके अलावा किसी भी मृतक के विरुद्ध कोई मामला नहीं दर्ज है। इनके साथ मारा गया अनूप मिश्रा उनके पड़ोस के गांव पूरे पंडित मजरे भरतपुर का रहने वाला है। वह नासिक में एक निजी कंपनी में काम करता था। हाल ही में वह नासिक से अपने घर आया था। बृजेश शुक्ला कौशांबी का रहने वाला था उसके विरुद्ध भी कोई मामला नहीं है। देवरा गांव के नरेंद्र शुक्ला और पूरे पंडित गांव के अंकुश के विरुद्ध भी कोई मामला आज तक किसी थाने में दर्ज नहीं है।