डीआइजी के जाते ही दिखाया रंग
सलोन : कोतवाली पुलिस अधिसूचना को इमरजेंसी मान बैठी है। यही कारण है कि डीआइजी के निर्देश के बावजूद पु
सलोन : कोतवाली पुलिस अधिसूचना को इमरजेंसी मान बैठी है। यही कारण है कि डीआइजी के निर्देश के बावजूद पुलिस ने पीड़ित व उसके परिजनों पर ही कहर ढाना शुरू कर दिया। डीआइजी के सलोन कोतवाली छोड़ते ही पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ तहरीर दे रहे परिजन को ही पकड़ कर हवालात में डाल कर जेल भेज दिया।
सलोन कोतवाली क्षेत्र के दुबहन निवासी राम प्यारे तथा विवेक पटेल के बीच जमीनी विवाद चल रहा था। आरोप है कि विपक्षी ने पुलिस से साठगांठ कर दलित परिजनों के विरुद्ध गंभीर धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कराया था और विवादित जमीन पर कब्जा कर लिया। इसके कुछ दिन बाद कब्जेदारी को लेकर विवेक पटेल और उसके साथियों ने राम प्यारे उसकी पत्नी पार्वती और बेटी को लाठी डंडों से जमकर पिटाई कर दी। इसके बाद न्याय की आस लिए पीड़ित परिवार कोतवाली पहुंचे। इस दौरान वहां मौजूद डीआइजी प्रवीण कुमार के समक्ष पुलिस कर्मियों ने पीड़ित को न मिलने देने की पूरी कोशिश की। लेकिन डीआइजी की नजर पीड़ित परिजनों पर पड़ गई। पीड़ित ने डीआइजी को अपनी व्यथा बताई। डीआइजी ने कोतवाली प्रभारी को पीड़ितों का मेडिकल कराकर आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया। इसके बाद पीड़ित परिजन तहरीर लिखवाने के लिए तहसील गेट पर अधिवक्ता के पास जाने लगी तभी डीआइजी का काफिला भी कोतवाली से रवाना हुआ। हाकिम के कोतवाली छोड़ते ही पुलिस का पारा सांतवे आसमान पर पहुंच गया और दबंगों की शिकायत करने से खफा पुलिस ने दौड़ा कर राम प्यारे उसकी पत्नी और पुत्री को पकड़ लिया। किसी तरह महिलाएं भाग निकली, लेकिन राम प्यारे को हवालात में डालते हुए जेल भेज दिया। क्षेत्राधिकारी चरनजीत ¨सह ने बताया कि राम प्यारे के विरुद्ध मुकदमा दर्ज है इसलिए उसे पकड़कर जेल भेजा गया है। डीआइजी प्रवीण कुमार द्वारा दलित की मेडिकल कराकर आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किए जाने के सवाल के जवाब पर क्षेत्राधिकारी ने जांच कर कार्रवाही किए जाने का आश्वासन पीड़ित को दिया गया है।