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डलमऊ से इलाहाबाद की ओर रवाना हुई जलपरी श्रद्धा

डलमऊ(रायबरेली): कानपुर से वाराणसी तक 570 किमी की दूरी तैर कर तय करने निकली नन्ही जलपरी श्रद्धा के ह

By Edited By: Published: Tue, 30 Aug 2016 11:38 PM (IST)Updated: Tue, 30 Aug 2016 11:38 PM (IST)
डलमऊ से इलाहाबाद की ओर रवाना हुई जलपरी श्रद्धा

डलमऊ(रायबरेली): कानपुर से वाराणसी तक 570 किमी की दूरी तैर कर तय करने निकली नन्ही जलपरी श्रद्धा के हौसले में नदी जल की तमाम बधाओं के बावजूद कोई कमी नहीं आई है। जलीय जंतुओं से कई बार घायल होने के बावजूद सोमवार सुबह आगे की यात्रा के लिए वीआइपी घाट से गंगा में छलांग लगाई। उनके छलांग लगाते ही पूरा घाट गंगा मां के जयकारे से गूंज उठा। उनका अगला पड़ाव इलाहाबाद होगा। यात्रा तीन सितंबर को काशी में समाप्त होगी। जलस्तर घटने के कारण जल में आ रही गंदगी जलपरी की राह में रोड़ा जरुर बन रही है। दो वर्ष पूर्व 12 वर्ष की आयु में श्रद्धा ने कानपुर से इलाहाबाद 280 किमी की यात्रा पूरी कर रिकार्ड बुक में अपना नाम दर्ज करा चुकी हैं । उत्साह को बढ़ाने के लिए पूरा परिवार उनके साथ यात्रा कर रहा है ।

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कानपुर के कैंट निवासी 14 वर्षीय श्रद्धा शुक्ला ने 28 अगस्त कानपुर से यात्रा शुरू की थी। इतनी छोटी आयु में इतनी लंबी यात्रा की सूचना जिसे मिली जलपरी को देखने बेताब हो गया। सोमवार को डलमऊ के वीआइपी घाट पहुंची जलपरी को देखने के लिए हुजूम उमड़़ पड़ा। रात होने के कारण परिजनों ने डलमऊ में रुकने फैसला किया। लोगों ने राजा डल पार्क में परिजनों के रुकने की व्यवस्था की। मंगलवार को लोगों ने यात्रा मंगलमय होने की कामना की। सुबह 7:45 बजे मां गंगा की पूजा कर श्रद्धा अपने अगले पड़ाव के लिए निकल पड़ी। कोतवाली प्रभारी ओपी यादव, गुरुबक्स ¨सह बक्सी, राजन त्रिपाठी, दीपू पंडा, संदीप मिश्रा, गौतम ¨सह, संदीप चौधरी, आर के राव आदि मौजूद रहे।

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तैरने के दौरान जलचरों ने किया जख्मी :

गंगा तेज धारा में जलचरों ने श्रद्धा को जख्मी किया। मां बंदना शुक्ला ने बताया कि श्रद्धा के शरीर पर कई जख्म हो गए हैं जिनपप बैंडेज, वासलीन आदि लगाई गईं है। चिकित्सक श्रद्धा के स्वास्थ्य पर नजर बनाए हुए हैं। छोटी बहन अंजली खाने पीने व दवा का ख्याल रखती हैं।

ऊंचाहार में हुआ भव्य स्वागत

ऊंचाहार: नन्ही जलपरी का ऊंचाहार में भव्य स्वगात हुआ। तय कार्यक्रम के अनुसार वह करीब ढाई बजे ऊंचाहार के कल्यानी गांव के पास जंगल में रुकना था। उन्हें देखने को 11 बजे से ही ग्रामीणों का जमावड़ा होने लगा। जब जलपरी तैरते हुए वहां पहुंची तो करीब पांच सौ महिलाएं पुरुष व बच्चे स्वागत के लिए खड़े थे।


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