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..जब पाक सैनिकों को खदेड़ा था डलमऊ के लाल ने

डलमऊ (रायबरेली) 'उनकी तुरबत पर नहीं जला करते दिए जिनके खूं से लिखी थी चिरागे वतन। मकबरे जगमगा रहे

By Edited By: Published: Mon, 25 Jul 2016 11:48 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jul 2016 11:48 PM (IST)

डलमऊ (रायबरेली)

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'उनकी तुरबत पर नहीं जला करते दिए जिनके खूं से लिखी थी चिरागे वतन। मकबरे जगमगा रहे हैं उनके जो बेचा करते थे शहीदों के कफन '। किसी मशहूर शायर की इन लाइनों की याद आज अनायास ही आ जाती है। शूरवीरों की माटी रायबरेली ने देश के आन बान और शान के लिए मर मिटने वाले कई लाल दिए। इसमें एक नाम डलमऊ के राजेंद्र यादव का भी है जिन्होंने कारगिल युद्ध में विरोधियों के छक्के छुड़ा दिए थे और आखिरी सांस तक लड़ते हुए शहीद हुए

शहीद राजेन्द्र यादव का जन्म डलमऊ विकास खंड के मुतवल्ली पुर मजरे बरारा में 1966 में हुआ था। उनमें बचपन से ही देश सेवा का जुनून था। दीनशागौरा में स्थित शिवनारायण ¨सह इंटर कालेज में इंटर तक शिक्षा ग्रहण कर राजेंद्र यादव ने फतेहपुर जनपद में 1984 में महज अट्ठारह वर्ष की आयु में सेना में भर्ती हो गए थे । 1999 में हुए कारगिल युद्ध में राजेंद्र अपनी बैरिक की सुरक्षा कर रहे थे। तभी पाक सेना के दर्जनों सैनिकों ने आक्रमण बोल दिया था। उन्होंने पाक सैनिकों का राजेंद्र ने डट कर मुकाबला किया। कई पाक सैनिकों को मार गिराए। अंत में वीरगति को प्राप्त हुए। शहीद की पत्नी ललिता देवी ने बताया कि वह दिन याद आते ही कलेजा बैठने लगता है। तीनों बच्चे अतुल (10 वर्ष ), रजत (2 वर्ष), अनीता (एक वर्ष) छोटे थे। जब वह पिता के आने बारे में पूछते तो आंखें भर आतीं थीं। चार भाइयों में दूसरे नंबर के शहीद राजेंद्र यादव अपने घर के एक मात्र कमाने वाले सदस्य थे । शहीद होने से घर के सभी सदस्य टूट चुके थे। शहीद राजेंद्र यादव के नाम से सरकार ने एक पेट्रोल पंप दिया था।

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सरकार का वादा आज भी अधूरा :

अमर शहीद राजेंद्र यादव के भाई रामदेव ने बताया कि शहीद होने के बाद परिवार को सांत्वना देना आए जनपद के ही समाज कल्याण एवं सैनिक पुनर्वास मंत्री दलबहादुर कोरी ने परिवार को पांच बीघे भूमि , शहीद राजेंद्र यादव के नाम से एक स्टेड़ियम, व एक बड़ी मूर्ति बनवाने का आश्वासन दिया था। इस पर तत्कालीन जिलाधिकारी रेणुका कुमार ने भी सहमती जताई थी। जो सिर्फ कोरा वादा बन कर रह गया। अमर शहीद राजेंद्र यादव की पत्नी ने कहा कि देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद राजेंद्र की कुर्बानी को अब सभी भूलते जा रहे हैं ।

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शहीद द्वार का उद्घाटन के लिए नहीं विधायक को समय

डलमऊ खंड विकास कार्यालय में बीते दो वर्ष पूर्व कारगिल शहीद राजेंद्र यादव के नाम से क्षेत्र पंचायत निधि से एक द्वार का निर्माण कराया गया है। इसके उद्घाटन में वर्तमान विधायक को आमंत्रित किया गया था लेकिन विधायक जी के पास समय का अभाव था। आज तक इसका उदघाटन नही हुआ। शहीद राजेन्द्र की पत्नी ने बताया कि जनप्रतिनियों ने कभी परिजनों से कुशल क्षेम जानना मुनासिब नहीं समझा है।


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