पटरियों पर खड़े रहते वाहन
रायबरेली, जागरण संवाददाता : रूतबा बरकरार हो तो कब्जा करना बहुत आसान हो जाता है। कुछ ऐसा ही काम इन दि
रायबरेली, जागरण संवाददाता : रूतबा बरकरार हो तो कब्जा करना बहुत आसान हो जाता है। कुछ ऐसा ही काम इन दिनों सड़क की पटरियों पर खुली ट्रैवेलिंग एजेंसियां अवैध रूप से कर रही हैं। इन ट्रैवेल एजेंसियों के वाहन सुबह से लेकर शाम तक पटरियों पर खड़े रहते है। इसके बाद भी एआरटीओ विभाग द्वारा ध्यान नहीं दिया जाता है। इन हालातों में शहर की सड़कों पर राहगीरों का पैदल चलना मुहाल होता जा रहा है। विशेष बात यह है कि एक नहीं बल्कि दर्जनों एजेंसियों बिना पंजीकरण के चल रही है। इसके बाद भी इन एजेंसियों पर अधिकारियों की 'कृपा' बरस रहीं हैं।
शहर की सड़कें अक्सर खून से लाल नजर आती हैं। क्योंकि अवैध रूप से संचालित हो रही अवैध ट्रैवेल्स एजेंसियों के वाहन पटरियों पर खड़े रहते है और हादसों को दावत देते हुए नजर आते है। वहीं दूसरी ओर एआरटीओ विभाग द्वारा हादसों से बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाता है, लेकिन विभाग की नजरें अवैध रूप से संचालित हो रही ट्रैवेलिंग एजेंसियों की ओर नहीं पड़ रही है। अवैध रूप से संचालित होने वाली ट्रैवे¨लग एजेंसियों ने पूरी तरह सड़क पर कब्जा जमा रखा है। इससे आए दिन राहगीरों को पैदल चलने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। एआरटीओ विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो अब तक सड़क हादसों में बीते वर्ष 213 लोगों की मौत हो चुकी हैं। इन मौतों का कारण रफ्तार और पटरियों पर खड़े होने वाले वाहन है। वास्तविकता है यह कि ट्रैवेल्स एजेंसियां बिना पंजीकरण के एक टट्टर (लकड़ी के खोखे) में खुलती जा रही है। इनकी डिटेल किसी विभाग के पास नहीं है, चाहे वह एआरटीओ हो या फिर पुलिस। दूसरी ओर सड़कों की पटरियों पर बेतरतीब तरीके से कब्जा किया जा रहा है। इसके बाद भी प्रशासनिक अधिकारी चुप्पी साधे हुए बैठे नजर आ रहे है।
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एआरटीओ अजय यादव ने बताया कि टट्टर में संचालित हो रही अवैध ट्रैवेलिंग एजेंसियों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए नगर पालिका और पुलिस की मदद ली जाएगी। ताकि आम राहगीरों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े।