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जिला योजना का बजट ऊंट के मुंह में जीरा

रायबरेली, जागरण संवाददाता : जिले में विकास योजनाओं का परचम लहराने के लिए विकास अधिकारियों ने सरकार स

By Edited By: Published: Sun, 29 Mar 2015 06:10 PM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2015 06:10 PM (IST)

रायबरेली, जागरण संवाददाता : जिले में विकास योजनाओं का परचम लहराने के लिए विकास अधिकारियों ने सरकार से 15878.97 लाख रुपए बजट की मांग की थी ताकि दमतोड़ रही योजनाओं को फिर से जीवित किया जा सके। गरीबों तक शासन की प्राथमिकता वाली योजनाओं को आसानी से पहुंचाया जा सके लेकिन शासन की ओर से वर्ष 2014-15 के लिए सिर्फ 9494.85 लाख रुपए धन ही दिया गया। मांगे गए बजट के सापेक्ष मिला बजट विकास योजनाओं के लिए ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुआ। इसके कारण कई विकास योजनाओं को पंख नहीं लगे सके। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात अफसरों द्वारा विकास की नींव पर ईंट रखे जाने का प्रयास नहीं किया गया। इसके कारण ब्लाकों में विकास के लिए भेजा बजट डंप पड़ा रह गया। हकीकत यह है कि शासन की ओर से मिले बजट को खर्च करने के लिए दूसरे खातों में हस्तांरित किया जा रहा है।

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विकास योजनाओं को धरातल पर लाने के लिए अफसरों का एक अप्रैल से योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर मीटिंगों का दौर शुरू हो जाता है। इस मीटिंग का उद्देश्य है कि शासन की लाभकारी योजना और मिले बजट को समय से खर्च किया जा सके जबकि रायबरेली की वास्तविकता यह है कि किसी ब्लाक में पेयजल का संकट है तो कहीं सड़क खराब होने के कारण चलने में असुविधा। जिले के नागरिकों का आक्रोश कई बार चुनाव के दौरान देखने को मिलता है, लेकिन विकास कार्य में जुटे अफसर इस आक्रोश पर आश्वासन का मरहम लगा कर खुद भूल जाते हैं कि किस विकास क्षेत्र की जनता समस्याओं से जूझ रही है। सड़क निर्माण के लिए विभाग को कुल 3700 लाख का बजट मिला। इसके बाद भी सड़कें गढ्डों में समा चुकी हैं। वहीं दर्जनों प्राथमिक विद्यालय में हैंडपंप तक नहीं लगे हैं।

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खर्च हुआ पूरा बजट

जिले में विकास कार्यो के लिए 9494.85 लाख रुपए का बजट मिला जबकि विकासीय हकीकत अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने को मजबूर है। विकास कार्य देख रहे अफसरों का कहना है कि सरकार से मिले बजट के सापेक्ष 92 फीसदी धनराशि को खर्च कर दिया गया है लेकिन काम दिखाई नहीं पड़ रहा है।

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विकास को मांगी गई धनराशि

विभाग मांगा बजट

कृषि विभाग-128 लाख।

औद्योगिक मिशन-80 लाख।

पशु चिकित्सा सेवा, सुधार व विस्तार-646 लाख।

मत्स्य पालन-30 लाख।

दुग्ध विकास-40 लाख।

वन विभाग-900 लाख।

सहकारिता-आठ लाख।

ग्राम्य विकास-112.50 लाख।

भूमि विकास व जल संसाधन-37 लाख।

ग्रामीण रोजगार-1000 लाख।

पंचायती राज-930 लाख।

लघु सिंचाई-590 लाख।

बाढ़ नियंत्रण-10 लाख।

सड़क व पुल-3700 लाख।

प्राथमिक शिक्षा-400 लाख।

माध्यमिक शिक्षा-527 लाख।

उच्च शिक्षा-29 लाख।

खेलकूद-15 लाख।

स्वास्थ्य विभाग-351 लाख।

निर्मल भारत-300 लाख।

मनरेगा-8098.33 लाख।

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इन मदों में डंप पड़ा बजट

विभाग रकम

बायोगैस- 46603

रोजगार सेवक मानदेय-575732

एपीओ मानदेय-284841

बीआरजीएफ-4852716

12वां, 13वां वित्त आयोग-25613188

कंप्यूटर आपरेटर मानदेय-32334

राज्यवित्त आयोग 77072340

इंदिरा आवास कंटीजेंसी-2405595

विधायक निधि-3699873

टीए का मानदेय-160000

कुल रकम-114743222

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साहब की भी सुनें

'सरकारी योजनाओं में मांगे गए बजट के सापेक्ष शासन से उपलब्ध धन का उपयोग इसी वित्तीय वर्ष में करने के आदेश दिए गए हैं। इससे जिले को आंवटित सरकारी रकम लैप्स न हो और अगले बजट में किसी प्रकार की कटौती न हो। सीडीओ समेत अन्य विकास अफसरों को कहा गया है कि वह सरकारी योजनाओं को हर कीमत पर पूरा कराएं।'

प्रेम नारायण, जिलाधिकारी, रायबरेली।


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