अधर में लटका वाशिंग लाइन का काम
रायबरेली, जागरण संवाददाता : संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र होने के कारण रेल मंत्रालय ने रायबरेली से मुंबई, नई दिल्ली, बंगलौर, हैदराबाद, कोलकाता जैसे बड़े शहरों के लिए सीधी ट्रेन चलाने पर विचार किया था। इन ट्रेनों के संचालन में सबसे बड़ी बाधा कोचों के रख-रखाव के लिए वाशिंग लाइन का नहीं होने था। इस पर करोड़ों की लागत से स्टेशन के पास नई वाशिंग लाइन के निर्माण को मंजूरी मिलने के साथ ही काम शुरू कराया गया था लेकिन केंद्र की कांग्रेस सरकार के जाते ही काम ठप हो गया है। मौजूदा हालात में लगता है कि सालों में भी यह काम पूरा नहीं हो पाएगा।
रायबरेली जिले के हजारों लोग मुंबई, दिल्ली, जम्मू, कोलकाता, हैदराबाद, बंगलौर, सूरत आदि बड़े शहरों में नौकरी करते हैं। यह देखते हुए कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी ने केंद्र में सत्ता होने के चलते इन स्थानों के लिए सीधी ट्रेन चलाने की पहल की थी। इस पर रेल मंत्रालय ने नई ट्रेनों के संचालन में सबसे बड़ी बाधा इन गाड़ियों के डिब्बों के साफ-सफाई के लिए वाशिंग लाइन का नहीं होना बताया था।
इस पर सांसद की पहल पर रेल मंत्रालय ने वर्ष 2013 में 26 डिब्बे की नई वाशिंग लाइन व पुरानी 14 डिब्बे की वाशिंग लाइन की क्षमता को बढ़ा कर 26 डिब्बे का करने का प्रस्ताव मंजूर किया था। यह पूरी परियोजना 78978915.25 रुपए की थी। इस पर मार्च 2013 में काम शुरू हुआ था। यह काम 18 माह में पूरा होना था। रेल सूत्रों के अनुसार यह काम फरवरी 2014 में पूरा होना था। काम का ठेका रायबरेली कांस्ट्रक्सन कंपनी को दिया गया था। जहां पर वाशिंग लाइन बननी थी, वहां पर बड़ा तालाब था, जिसे भरने में कंपनी को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इसके बाद निर्माण का काम शुरू हुआ तो लोक सभा का चुनाव आ गया। चुनाव बाद केंद्र में कांग्रेस की सरकार चली गई पहले चुनाव व बाद में केंद्र से कांग्रेस के सत्ता से बाहर होते ही यह काम पूरी तरह से बंद हो गया। यह काम कब शुरू होगा स्थानीय स्तर पर किसी अधिकारी को जानकारी नहीं है।
कुछ लोगों का कहना है कि लागत बढ़ने के कारण काम बंद किया गया है तो कुछ का कहना है कि सोनिया का संसदीय क्षेत्र होने का खामियाजा तो यहां की जनता को उठाना ही होगा। -----------------
'वाशिंग लाइन का निर्माण रुकने की जानकारी नहीं है। मामले की जानकारी करके काम को शुरू कराया जाएगा।'
अश्विनी कुमार श्रीवास्तव
सीनियर डीसीएम, उत्तर रेलवे।