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जिले में है क्षय रोग की एमडीआर चिकित्सा सुविधा

By Edited By: Published: Wed, 27 Aug 2014 07:26 PM (IST)Updated: Wed, 27 Aug 2014 07:26 PM (IST)
जिले में है क्षय रोग की एमडीआर चिकित्सा सुविधा

रायबरेली, जागरण संवाददाता : जिले के क्षय रोग विभाग में एमडीआर (मल्टी ड्रग रजिस्टेंट) / टीबी का इलाज आसानी से कराया जा सकता है। अगर मरीज रोग के प्रति सचेत रहे तो अब टीबी रोग काफी साध्य मर्ज है। जागरूकता के अभाव में अभी भी लोग झाड़-फूंक का सहारा लेकर टीबी को अंधविश्वास के जरिए समाप्त करने की कोशिश करते हैं जब कि इससे कोई हल नही मिलता है। टीबी रोग से निपटने के सरकार की ओर से बनाई गई व्यवस्थाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए लोगों की भूमिका आगे बढ़ाई जा रही है। यह बात बुधवार को जिला अस्पताल के क्षय रोग विशेषज्ञ डा. निशांत भारद्वाज ने कही। उन्होंने जागरण के प्रश्न प्रहर में दूरभाष पर लोगों की समस्याओं का भी निस्तारण किया।

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सवाल- क्षय रोग के लक्षण क्या हैं? दीपांशू पाल, ग्राम सेनाचक, डीह।

जवाब- अगर पंद्रह दिनों से लगातार खांसी आ रही है। साथ में बलगम या खून आ रहा है तो आपको टीबी हो सकती है। ये लक्षण मिलते ही पास के सरकारी अस्पताल से संपर्क करें।

सवाल- टीबी की दवा खाने के बाद चक्कर आता है क्या करें?

जितेंद्र कुमार, रायबरेली

जवाब- कभी भी टीबी की दवा अधिक पानी के साथ न खाएं, साथ में ही खाली पेट नही बल्कि पर्याप्त नाश्ते भोजन के बाद ही दवा खाएं। इसके बाद भी अगर समस्या का समाधान न हो तो सरकारी अस्पताल आ कर डाक्टर से राय लें।

सवाल-गले में अगर गांठ हो तो क्या टीबी हो सकती है?

कमलेश द्विवेदी, ऊंचाहार

जवाब-अगर ऐसा है तो एक जांच एफएनएसी करवा लें। रोग का पता चल जाएगा। रोग का पता चलते ही किसी जानकार डाक्टर से परामर्श ले कर दवा कराएं।

सवाल- टीबी शरीर में कहां-कहां हो सकती है।

अवधेश कुमार, सरेनी

जवाब-टीबी नाखून और बाल छोड़कर शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। शुरुआती दौर में अगर बीमारी का पता लग जाए तो इलाज करने में आसानी और ठीक होने में कम समय लगता है।

सवाल- चार महीने दवा खाने के बाद कराई गई बलगम की जांच में रिपोर्ट पाजिटिव पाई गई क्या करें। सुबोध मौर्य, लालगंज

जवाब - ऐसा होने पर जो डाक्टर आपको देख रहें हैं उनकी ओर से कराए गए बलगम और अन्य जांचों को लखनऊ भेज कर फिर से जांच करा कर उपचार कराया जाता है। इसके पीछे कारण यह होता है कि बीमारी का समूल नष्ट किया जा सके।

सवाल - टीबी के बिगड़े केस के लिए क्या व्यवस्थाएं हैं।

विनीत द्विवेदी, चड़राई चौराहा जगतपुर।

जवाब - सरकार ने इसके लिए ही एमडीआर मतलब मल्टी ड्रग रजिस्ट्रेन्स बनाया है। इस प्रक्रिया से बिगड़े मामलों को आसानी से सुधारा जा सकता है। सबसे खास बात यह है कि मरीज को इस बीमारी से निपटने के लिए निर्धारित समय तक दवा नियमित रूप से खानी होती है।

सवाल-लगातार खांसी आ रही है क्या करें।

रामनिवास, डलमऊ

जवाब - आप अपने नजदीकी सरकारी अस्पताल में जाकर जांच करवाएं बलगम की जांच के अलावा एक्सरे भी करवा लें। इसकी जांच रिपोर्ट आने के बाद ही किसी जानकार डाक्टर के परामर्श के अनुसार कार्य करें।

सवाल- क्या टीबी वंशानुगत होती है।

गोपी बाजपेई, इंदिरा नगर रायबरेली।

जवाब- नही, टीबी रोग आनुवांशिक नही है। इस प्रकार की बातें अंधविश्वास का प्रतीक हैं। किसी को इन बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।

सवाल- सुबह-सुबह संास लेने में दिक्कत है क्या करें।

अमित कुमार, सरेनी

जवाब- बलगम की जांच करवा लें दिक्कत का पता चल जाएगा। इसके बाद भी अगर राहत न मिले तो जिला अस्पताल आ कर मिल सकते हैं।

सवाल- टीबी रोग से परहेज क्या करें।

राजू वर्मा, सलोन।

जवाब- टीबी रोग में आम तौर पर मरीज को सलाद, पौष्टिक आहार, हरी सब्जियां, अंडे और मछलियां खाना मरीज के लिए लाभकारी है।

सवाल-परिवार के लोग इस रोग से न प्रभावित हों इसके लिए क्या बचाव करने चाहिए। राम मनोहर, रायबरेली।

जवाब-इस रोग का पता लगने के बाद रोगी को चाहिए कि वह खांसते समय रुमाल का प्रयोग अवश्य करे। इसके साथ ही रोगी के प्रयोग किए जाने वाले कपड़े, बेडशीट और तौलिए आदि विसंक्रमित करना चाहिए।

सवाल-यह मर्ज किस उम्र के लोगों को हो सकता है।

जवाब- इस मर्ज के लगने के लिए उम्र की कोई समय सीमा तय नहीं है। यह मर्ज किसी को भी और किसी भी उम्र में हो सकता है। सबसे बड़ी बात यह है कि अब यह मर्ज असाध्य नहीं है। समय से और नियमित दवा खा कर मरीज आसानी से ठीक हो सकता है।


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