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..जब सोनिया संग गाव की पूजा में शामिल हुए राजीव

By Edited By: Published: Wed, 23 Apr 2014 06:29 PM (IST)Updated: Wed, 23 Apr 2014 06:29 PM (IST)
..जब सोनिया संग गाव की पूजा में शामिल हुए राजीव

दिलीप सिंह,अमेठी:अमेठी में यूं ही राजीव गाधी को लोग याद नहीं करते है। इसके पीछे राजीव की वह यादें है जो अमेठी में आज भी ताजा है जो उनके साथ बीती थी। खेत खलिहान से लेकर हर छोटे बडे़ काम के लिए राजीव को यहा के लोग याद करते तो राजीव भी देश दुनिया की सियासत से दूर अमेठी के हर दर्द को महसूस करते थे। बात 1985 की है राजीव गाधी देश के प्रधानमंत्री थे और अपनी पत्नी सोनिया के साथ बरसात के महीने में अमेठी के अन्नीबैजल गाव पहुंचे तो वह मंदिर में पूजा चल रही थी। गाव के लोगों ने राजीव व सोनिया से भी पूजा में शामिल होने की बात कहीं तो पुराने लोग बताते की राजीव ने कहा पहले सिर पर बांधने के लिए कु छ लाओ तभी तो पूजा में शामिल होंगे। लोग लाल रंग की चुनरी लाकर राजीव को दिए और गाव के लोगों ने बडे़ अरमान से राजीव के सिर पगड़ी बांधी तो राजीव भी पत्नी के साथ पूजा में शामिल हुए और प्रसाद लेकर ही वापस लौटे। अन्नी के लोगों के जेहन में आज भी वह क्षण व तस्वीर जीवित है।

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अन्नी बैजल गांव के नरसिंह बहादुर सिंह बताते हैं कि 1980 में संजय गांधी के जहाज दुर्घटना में निधन के बाद गांव के लोगों ने मिलकर उनकी याद में गांव में ही संजय गांधी स्मारक स्कूल की नीव डाली। भाई संजय के निधन के बाद राजीव गांधी अमेठी में 1981 में हुए उपचुनाव में पहली बार आए फिर वह यहीं के होकर रह गए। बात 1985 की है इंदिरा गांधी के निधन के बाद राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बनने के बाद अपनी पत्‍‌नी सोनिया के साथ अमेठी आए हुए थे। बरसात का मौसम था। उनका कार्यक्रम गौरीगंज के अन्नीबैजल गांव में लगा हुआ था। राजीव जब अपनी पत्‍‌नी के साथ गांव पहुंचे तो संजय गांधी स्कूल के पास स्थित भगवान भोले नाथ के मंदिर में पूजा अर्चना चल रही थी। ग्रामीणों ने जिद की तो राजीव भी पत्‍‌नी के साथ पूजा में शामिल होने के लिए आगे बढ़ गए। इस समय गांव के प्रधान पुट्टू सिंह हुआ करते थे। जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। ग्रामीण बताते हैं कि राजीव जी ने कहाकि पूजा में सिर पर कपड़ा होना जरूरी है। तब पुट्टू सिंह ने घर से लालरंग की चुनरी मंगाई और ग्रामीणों ने उसे राजीव के सिर पर साफा की तरह बांधा और राजीव अपनी पत्‍‌नी सोनिया के साथ पूजा में शामिल हुए। गांव के लोगों को आज भी राजीव की वह सादगी व अपनत्व भरी यादें भाव विभोर कर देती हैं।


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