Move to Jagran APP

..का हो काका, के जीतत बा!

प्रतापगढ़ : दिन के दो बज रहे थे। अंतू बाजार में बहराइच की चाय की दुकान पर सियासी तर्क-वितर्क चल रही

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Feb 2017 10:32 PM (IST)Updated: Sat, 25 Feb 2017 10:32 PM (IST)
..का हो काका, के जीतत बा!
..का हो काका, के जीतत बा!

प्रतापगढ़ : दिन के दो बज रहे थे। अंतू बाजार में बहराइच की चाय की दुकान पर सियासी तर्क-वितर्क चल रही थी। रामजश बोले..हमका तौ लागत बा मोदी कै लहरिया काम करे। तभी शिव दुलारे बोल पड़े कउनो लहर न चले। जे काम करे उहै जीते।

loksabha election banner

बहस गरम हो रही थी, तभी दुकान पर पहुंचे सुरेश ने सुखई से पूछा..का हो काका, तोहरे हिसाब से के जीतत बा। अब का बताई, कुछ कहै लाए नाहीं बा। अगर कुछ गलत बात मोहे से निकरि जाए तो बेमतलब रायता फइले। कहू हमार पेट न भरे, जे जीते..इगारह मार्च का मलुमै होइ जाए। इस तरह की चर्चा इन दिनों दुकानों पर सुनी जा रही है। दलों व उम्मीदवारों के समर्थक अपने दावों को पुष्ट करने के लिए लड़ जा रहे हैं। उनके हिसाब से उनका ही नेता जीत का हार पहनने वाला है। वहीं, चुनाव बीत जाने के बाद अब हार-जीत के कयास लगाए जाने लगे हैं। चाय की चुस्कियों के साथ कार्यकर्ताओं के बीच हार-जीत की बहस छिड़ गई है। चाय की दुकानों व चौराहों पर कार्यकर्ताओं की भीड़ इकट्ठा हो रही है। कल तक अलग-अलग दल का प्रचार कर रहे लोग चुनाव बाद एक साथ बैठ रहे हैं। चाय का दौर चला, लेकिन आज भी उनके बीच चुनावी चर्चा ही होती रही। हार-जीत के कयास लगाए जा रहे हैं। कहीं ब्राम्हण के भटकने पर चर्चा हो रही थी, तो कहीं मुस्लिमों के बंटने की चर्चा पर शोर हो रहा था। दिनभर दुकानों बाजारों पर बस हार-जीत के लिए ही चर्चा हो रही थी। पारा हमीदपुर मोड़ पर चर्चाओं के इस दौर में कुछ लोग आपस में भिड़ भी गए, लेकिन लोगों के समझाने पर फिर एक साथ बैठे तो चाय का पैसा कौन देगा इस पर भी बहस होने लगी। इस बहस में दुकानदारों की चांदी रही। उधर, मतगणना होने में भले ही अभी पंद्रह दिन का समय लगेगा, पर प्रत्याशियों के समर्थक बूथ पर पड़े मतों की गिनती की माथा पच्ची कर रहे हैं। चाय की दुकानों पर कागज कलम लेकर तीन प्रमुख दलों के समर्थक सिर्फ यही गणित लगाते रहे कि इस बूथ पर मेरे प्रत्याशी को इतने में से इतना वोट मिलेगा, दूसरे प्रत्याशी को इतना वोट ही मिलेगा। जबकि दूसरे के समर्थकों ने जब अपना तर्क रखना शुरू कर दिया तो हंगामे जैसी स्थिति भी बीच-बीच में पैदा हो जा रही थी, लेकिन कुछ लोगों के हस्तक्षेप से स्थिति फिर सामान्य हो जाती।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.