आस्था का केंद्र मां बाराही धाम
रानीगंज, प्रतापगढ़ : शक्तिपीठ के रूप में स्थापित मां बाराही चौहर्जन देवी धाम का गौरवशाली इतिहास है।
रानीगंज, प्रतापगढ़ : शक्तिपीठ के रूप में स्थापित मां बाराही चौहर्जन देवी धाम का गौरवशाली इतिहास है। मां बाराही देवी ऐतिहासिकता एवं पौराणिकता की विरासत समेटे बैठी हैं। वह अपने भक्तों के मन की मुराद पूरी करती हैं। शारदीय व वासंतिक नवरात्र में प्रदेश और देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु मां के चरणों में माथा टेकने पहुंचते हैं। दुर्गा सप्शती में देवी कवच में आयु रक्षति बाराही, धर्म रक्षति वैष्णवी के श्लोक, मां बाराही के सिद्धपीठ होने की पुष्टि करते हैं।
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इतिहास---
बाराही देवी धाम रानीगंज तहसील क्षेत्र के परसरामपुर गांव में ऊंचे टीले पर स्थित है, जो शक्तिपीठों में एक है। अभिलेखों में मां बाराही का वर्णन है। यह प्राचीन मंदिर छठी शताब्दी का है। 1008 महंथ गणपति गिरी ने 1365 विक्रमी संवत में मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। यहां आल्हा व ऊदल का कुआं व सुरंग है जो नदी में जा मिली है। मंदिर के पश्चिमी ओर की सुरंग पूरी तरह पट चुकी है तो कुआं भी कूड़ा करकट से पट रहा है, जिससे सुरंग व कुएं का अस्तित्व मिटता जा रहा है। आल्हा-ऊदल इसी कुएं से सुरंग के माध्यम से नदी में स्नान करने व मां बाराही का पूजन करने जाते थे।
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पंरपरा---
श्रद्धालुओं के हृदय में मां बाराही का विशेष महत्व है। मंदिर में मां के पूजन का कार्य गिरी परिवार करता है। जो सोमवार को अपने नंबर पर श्रद्धालुओं को दर्शन-पूजन कराते हैं। पूर्व प्रधान एवं पुजारी रामअक्षैवर गिरी, रामप्रताप गिरी, विनोद गिरी, जयश्री गिरी, मंतोष, विनय, प्रेमशंकर दादा भाई ने बताया कि बाराही धाम शक्तिपीठ है। माता भक्तों के मन की मुराद पूरी करती हैं।
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अव्यवस्था का रोना---
पुजारी रामअक्षैवर गिरी का कहना है कि शारदीय नवरात्र का शुभारंभ एक अक्टूबर से हो रहा है। किंतु बाराही धाम पर अव्यवस्था दूर होने का नाम नहीं ले रहा है। यहां दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को समस्याओं से जूझना पड़ेगा। रानीगंज से लच्छीपुर मार्ग व लच्छीपुर से धाम तक जाने वाले मार्ग पर जगह-जगह गड्ढे हैं। धाम पर लगी लाइट बंद पड़ी है। आसपास कूड़े का ढेर लगा है। पानी की भी समस्या बनी हुई है। लेकिन प्रशासन और जनप्रतिनिधि ध्यान नहीं दे रहे।