जर्जर धर्मशाला में चल रहा कोहड़ौर थाना
कोहड़ौर, प्रतापगढ़ : जनपद अमेठी की सीमा से तीन किलोमीटर प्रतापगढ़ की ओर से इलाहाबाद-फैजाबाद हाइवे पर
कोहड़ौर, प्रतापगढ़ : जनपद अमेठी की सीमा से तीन किलोमीटर प्रतापगढ़ की ओर से इलाहाबाद-फैजाबाद हाइवे पर चल रहा कोहड़ौर थाना बदहाल है। यह कई दशकों पूर्व एक स्थानीय सेठ द्वारा बनवाए गए धर्मशाला भवन में है।
इसकी स्थापना चार दशक पहले आतंक का पर्याय रहे डाकू बरसाती को पकड़ने के लिए पुलिस चौकी के रूप में हुई। इसकी दीवारें ईट की बनी एक मीटर मोटी हैं। छत चूने की डाट से बना है। इस समय यह जर्जर हो चुका है। एक प्राचीन कुआं है। बरसात में कमरों की छत से पानी टपकता है। दीवान और मुंशी बड़ी परेशानी से आफिस का काम निपटाते हैं और यहां पर परिसर में पानी भरा रहता है। यहां बैरिक की समुचित व्यवस्था नहीं होने से रात बड़ी मुश्किल से गुजरती है।
इसे 980 में थाना का दर्जा दिया गया, लेकिन जमीन विवादित होने के कारण पुलिस विभाग द्वारा यहां कोई निर्माण नहीं कराया जा सका। सेठ केदारनाथ, बांकेलाल, जीतलाल, पन्ना लाल यहां से थाना हटवाने के लिए कोर्ट का चक्कर लगाते-लगाते चल बसे। उनके पुत्रों हरि नारायण, शंकर लाल, डाक्टर राम कुमार आदि को उक्त जमीन से थाना खाली कराने की डिग्री मिल चुकी है। पुलिस विभाग थाने के लिए जमीन नहीं खोज पा रहा है। थाने का भवन बनवाने के लिए सरकार से कई बार लाखों रुपये आए और वापस हो गए। क्षेत्र में जिस भी जमीन पर थाना बनाने का प्रस्ताव मिलता है वहां कोई न कोई प्रतिवादी खड़ा हो जाता है, जिससे पुलिस को पीछे हटना पड़ता है। भवन निर्माण के लिए धन आने पर प्रतापगढ़-अमेठी सीमा के समीप और कारिस्ता में जमीन का जब-जब सीमांकन किया जाने लगा तो कोई न कोई वहां पर खड़ा हो जाता था। इससे कोहडौर थाने का कोई स्थायी भवन नहीं बन सका। यहां नियुक्त 3 सब इंस्पेक्टर, 2 एचसीपी, 4 मुंशी लगभग दो दर्जन कांस्टेबल भवन के अभाव में मुश्किल का सामना कर रहे हैं। यही नहीं थाना परिसर में मामूली बारिश के बाद ही जल जमाव होने से फरियादियों को काफी दिक्कत उठानी पड़ती है।